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अल्लामा अरशदुल कादरी का 13वां उर्स समारोह आज से (6 उर्स, 1-2-3)

अल्लामा अरशदुल कादरी ने करोड़ांे मुसलमानों की नुमाइंदगी कीउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर अल्लामा अरशदुल कादरी हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मजहबी और सियासी हालात से भी रु-ब-रू होते थे. मुसलिम पसर्नल ला बोर्ड के मामले में उन्होंने हिंदुस्तान के करोड़ांे मुसलमानों की नुमाइंदगी की. उन्हें लिखने-पढ़ने का काफी शौक था, जिसके कारण उन्हें रहीसुल […]

अल्लामा अरशदुल कादरी ने करोड़ांे मुसलमानों की नुमाइंदगी कीउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर अल्लामा अरशदुल कादरी हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मजहबी और सियासी हालात से भी रु-ब-रू होते थे. मुसलिम पसर्नल ला बोर्ड के मामले में उन्होंने हिंदुस्तान के करोड़ांे मुसलमानों की नुमाइंदगी की. उन्हें लिखने-पढ़ने का काफी शौक था, जिसके कारण उन्हें रहीसुल कलम के नाम से भी पुकारा जाता था. 15 फरवरी 1952 में उन्होंने टाटा स्टील से जमीन लेकर मदरसा की बुनियाद रखी और 1960 में आलीशान इमारत बनकर तैयार हो गयी, इसकी मिल्लत हाफिज- ए- मिल्लत एआर ने की. आज मदरसा फैजुल उलूम में आलीशान हॉस्टल, बड़ी लाइब्रेरी, कंप्यूटर, मिडिल और हाइस्कूल भी है. हर साल देश भर से 300 से अधिक छात्र दााखिला कराते हैं. अल्लामा अरशदुल कादरी ने सैकड़ों किताबें लिखीं, हर सूबे में तालिमी मिशन की शुरुआत की. अपनी पुस्तक जलजला, जेरो जबर के प्रकाशन के बाद पूरी दुनिया में मशहूर हो गये. उन्होंने तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी मुलाकात की थी. इराक और ईरान की जंग पर वे अक्सर बेचैनी का इजहार करते रहते थे. 1988 में इराक-ईरान के बीच आठ चली जंग खत्म होने पर राहत की सांस ली थी.

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