जमशेदपुर: जेइइ एडवांस तो क्रैक कर लिया, 1075वां रैंक भी मिला, लेकिन अब रमेश को काउंसेलिंग और एडमिशन की चिंता सता रही है. बहरागोड़ा के राजलाबांध निवासी रमेश ठाकुर को काउंसेलिंग तक में शामिल होने के पैसे नहीं हैं.
मूलत: बिहार के जमुई जिले के भुल्लो गांव निवासी रमेश ने मैट्रिक और इंटर तक की पढ़ाई, तो जैसे-तैसे कर ली, लेकिन अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उसके पिता कैसे उठा पायेंगे. यह उसके लिए बड़ा प्रश्न है. उसके पिता राजेंद्र ठाकुर नाई का काम करते हैं. राजलाबांध में घूम-घूम कर दाढ़ी व हेयर कटिंग का काम करते हैं. रमेश माता-पिता की बड़ी संतान है, एक भाई व बहन उससे छोटे हैं. परिवार में एकमात्र राजेंद्र ठाकुर ही कमानेवाले हैं. इसलिए बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी बमुश्किल ही निकल पाता है.
छुट्टी के दिन हजामत बनाता था
रमेश ने स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में प्राथमिक तक की पढ़ाई की. उसके बाद आठवीं तक बहरागोड़ा उच्च विद्यालय और नौवीं से 12वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से की. 93 प्रतिशत अंकों के साथ मैट्रिक और 91.4 प्रतिशत अंकों के साथ इंटर की परीक्षा पास की. पढ़ाई के साथ-साथ घर की माली हालत बहुत ही खराब होने की वजह से रमेश सुबह के समय पिता का हाथ बंटाता. वह बताता है कि जिस दिन स्कूल की छुट्टी होती (खासकर शनिवार व रविवार), किसी सैलून में काम करके कुछ कमा लेता था. रात में समय निकाल कर पढ़ाई करता.
पड़ोसियों ने दी फीस
मैट्रिक के बाद रमेश इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए जमशेदपुर आया. यहां साकची स्थित एक कोचिंग संस्थान में गया, जहां उसकी स्थिति को देखते हुए फीस में 50 प्रतिशत छूट दी गयी. उसके बाद भी 22 हजार रुपये जुटाना उसके परिवार के लिए मुश्किल था. ऐसे में पड़ोसियों ने साथ दिया. रमेश बताता है कि पड़ोस के हड़िया राउत, अभिलाषा अंटी व अन्य पड़ोसियों ने फीस के लिए आर्थिक मदद की. कोचिंग की तरफ से कोर्स मेटेरियल भी मिले. फलस्वरूप जेइइ एडवांस में उसे ओबीसी कैटेगरी में 1075वां रैंक मिला है.
अनंत व सुंदर मोहन से मिली प्रेरणा
उसने बताया कि पड़ोस में रहनेवाले अनंत लाल से वह प्रभावित है. वर्ष 2007-08 में उन्हें आइआइटी जेइइ में ऑल इंडिया में 50वां रैंक मिला था. वहीं जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र रहे सुंदर मोहन को उसी वर्ष 93वां रैंक मिला था. उनसे प्रभावित व मार्गदर्शन लेकर उसने यह तैयारी की.