संवाददाता, जमशेदपुर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं के विकास व महिला नीति लागू करने जैसी घोषणाएं नहीं की है. ऐसे दल महिलाओं को अपने एजेंडा शामिल करें. यह मांग विभिन्न महिला संगठनों से जुड़ी महिलाओं की है. नावो (नेशनल एलाइंस ऑफ वूमेन) झारखंड की वासवी किड़ो, महिला समन्वय समिति की अध्यक्ष अंजलि बोस, अन्वेषा की अल्पना भट्टाचार्य एवं एकल नारी सशक्ति संगठन व श्रमजीवी महिला समिति की महासचिव पूरोबी पाल ने श्रमजीवी महिला समिति के मानगो स्थित कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उक्त बातें कहीं. वासवी किड़ो ने कहा कि 1995 में महिलाओं से जुड़े कानून बने जिसका रिव्यू आज तक नहीं हुआ. झारखंड में महिलाओं को डायन प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. राष्ट्रीय डायन प्रथा प्रतिशोध कानून बने. नौकरी के नाम पर महिलाओं का पलायन व ट्रैफेकिंग को रोका जाये. महिला थाना व महिला हेल्पलाइन को प्रभावकारी बनाने पर पहल हो. अंजलि बोस ने कहा कि राजनीतिक दल महिला सशक्तीकरण पर क्या करना चाहते हैं, इसका उल्लेख नहीं रहता है. महिलाओं का वोट, किसी भी चुनाव में अहम हिस्सा होता हैै. पूरोबी पाल ने कहा कि दीपावली के आसपास राज्य महिला नीति की घोषणा की गयी, लेकिन इसमें भी अनेक अहम अध्यायों को छोड़ दिया गया है. अब समय आ गया है महिलाएं सचेत हों और राजनीतिक दल भी महिलाओं के हित को अपने एजेंडा में शामिल करे.
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घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए कुछ भी नहीं हैरी 43
संवाददाता, जमशेदपुर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं के विकास व महिला नीति लागू करने जैसी घोषणाएं नहीं की है. ऐसे दल महिलाओं को अपने एजेंडा शामिल करें. यह मांग विभिन्न महिला संगठनों से जुड़ी महिलाओं की है. नावो (नेशनल एलाइंस ऑफ वूमेन) झारखंड की वासवी किड़ो, महिला समन्वय समिति की अध्यक्ष अंजलि […]
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