(फोटो आई होगी)सीआइआरडी के ज्ञान यज्ञ परमात्म तत्व पर हुआ मंथनजमशेदपुर : परमात्मा का कोई स्वरूप नहीं, बल्कि वह तो सबको व्याप्त करते हुए सर्वत्र उपस्थित है. वह चित्त (चेतना) के रूप में सर्वत्र वर्तमान है. यह सारा संसार चित्त (चेतना) में ही प्रकट होता है. उक्त बातें स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने बुधवार को आत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में बुद्धिजीवी श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहीं. सीआइआरडी में चल रहे ज्ञान यज्ञ के तहत आयोजित प्रवचन में स्वामी जी ने चित्त (चेतना) का विश्लेषण करते हुए कहा कि चेतना वह है, जिससे किसी चीज का बोध कराने वाला, मन में विचारों को उत्पन्न करने वाला और विचारों का बोध कराने वाला, सारी इंद्रियों के विषय को जानने वाला, किन्तु सब इंद्रियों से रहित है. उन्होंने कहा कि यह यद्यपि अत्यंत सूक्ष्म है, किन्तु ज्ञान साधना के द्वारा अच्छी तरह जाना जा सकता है. इसके लिए गीता के 13वें अध्याय में इसके 20 गुणों की चर्चा की गयी है. इन्हें अपने चरित्र में लाने के लिए साधना करनी पड़ती है. इस सिद्धि में ही परमात्मा का अनुभव प्राप्त होता है.
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चेतना के रूप में सर्वत्र व्याप्त है परमात्मा : स्वामी निर्विशेषानंद
(फोटो आई होगी)सीआइआरडी के ज्ञान यज्ञ परमात्म तत्व पर हुआ मंथनजमशेदपुर : परमात्मा का कोई स्वरूप नहीं, बल्कि वह तो सबको व्याप्त करते हुए सर्वत्र उपस्थित है. वह चित्त (चेतना) के रूप में सर्वत्र वर्तमान है. यह सारा संसार चित्त (चेतना) में ही प्रकट होता है. उक्त बातें स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने बुधवार को आत्मीय […]
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