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मजबूरी परिवार की, पिसता है बचपन

जमशेदपुर: बाल श्रम उन्मूलन के प्रावधानों, उसका उल्लंघन करने वालों के लिए दंड के प्रावधान तथा इस मद में हर वर्ष करोड़ों खर्च करने के बाद भी बाल श्रम रुक नहीं रहा है. बाल श्रम के मामले में जमशेदपुर शहर की भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यहां भोजनालय, गैराज तथा अन्य प्रतिष्ठानों में ही […]

जमशेदपुर: बाल श्रम उन्मूलन के प्रावधानों, उसका उल्लंघन करने वालों के लिए दंड के प्रावधान तथा इस मद में हर वर्ष करोड़ों खर्च करने के बाद भी बाल श्रम रुक नहीं रहा है. बाल श्रम के मामले में जमशेदपुर शहर की भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.

यहां भोजनालय, गैराज तथा अन्य प्रतिष्ठानों में ही नहीं, घरेलू नौकर के रूप में भी बड़ी संख्या में बच्चे-बच्चियां कार्य कर रहे हैं. इसके लिए बच्चों की पारिवारिक लाचारी तो जिम्मेवार है ही, बाल श्रम उन्मूलन पर प्रति वर्ष करोड़ो खर्च करने वाला सरकारी तंत्र भी कम दोषी नहीं है.

क्या है प्रावधानत्नबाल श्रम उन्मूलन अधिनियम के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से श्रम कराना गैर कानूनी है. इसका उल्लंघन करने पर अर्थ दंड से लेकर कैद तक हो सकती है.

पिता ने छोड़ा,तो काम करना पड़ा
बिष्टुपुर के एक रेस्टोरेंट में प्लेट-ग्लास की सफाई कर रहा भोलू अपने परिवार का सहारा है. मां तथा दो अन्य भाई-बहनों सहित चार लोगों के परिवार में मां घरों में बरतन मांजने व झाड़ पोछा लगाने का काम करती है तथा वह रेस्टोरेंट में काम करता है. इसी से परिवार चलता है. भोलू ने बताया कि उसके पिता ने उसकी मां को छोड़ दिया जिसके बाद से मां ही घर चलाती थी. वह छह महीने से होटल में काम कर रहा है. उसे ढाई हजार रुपये मिलते हैं. छोटे भाई-बहन सरकारी स्कूल में जाते हैं.

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