जमशेदपुर: अरे भाई! कृपया करके रेल गेट खोल दीजिए. मेरा बेटे को अस्पताल ले जाना बहुत जरूरी है, उसकी हालत बहुत गंभीर है. आपसे मिन्नत करते हैं कि मेरी सहायता कीजिए. करीब 45 मिनट तक लोको फाटक पर एक पिता अपने पुत्र और एक भाई अपने भाई की जिंदगी के लिए मिन्नत करता रहा, लेकिन गेट नहीं खोला गया. वहीं गेट पर खड़े ऑटो में युवक तड़प रहा था. 45 मिनट बाद गेट खुलने पर अस्पताल में चिकित्सकों के समक्ष युवक की मौत हो गयी. घटना के बाद युवक के परिजनों को रो-रो कर बुरा हाल है. उनका कहना है कि समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने से उनके पुत्र की मौत हुई है. लोको कॉलोनी के लोगों के लिए यह फाटक काल बन चुका है.
घटना के संबंध में बताया जाता है कि लोको कॉलोनी निवासी कामेश्वर द्विवेदी का 25 वर्षीय पुत्र आलोक को मंगलवार की दोपहर अचानक मिरगी का दौरा पड़ा. आनन-फानन में उसे टेंपो से रेलवे अस्पताल ले जाने लगे. दुर्भाग्यवश, उस वक्त लोको फाटक बंद था. 44 डिग्री तापमान और चिलचिलाती धूप में युवक को टेंपो में बैठा कर फाटक खुलने का इंतजार होता रहा. फाटक संचालक से पिता और भाई ने अपने जवान बच्चे की जान की दुहाई दी, लेकिन फाटक नहीं खोला गया. इस बीच युवक तड़पता रहा, बेसुध हो गया. करीब 45 मिनटों की जद्दोजहद के बाद फाटक खुला और उसे रेलवे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. चिकित्सकों ने उसकी जान बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन अंतत: जिंदगी हार गयी.
अगर फाटक खुल जाता, तो बच जाती भाई की जान : संतोष
आलोक का बड़ा भाई संतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि अगर फाटक खुल गया होता, तो समय पर अस्पताल पहुंच जाता. करीब 45 मिनट तक वह सड़क पर बिलखता रहा, तड़पता रहा, लेकिन फाटक नहीं खुला. अगर पहले फाटक खुलता तो शायद मेरे भाई की जान बच गयी होती. इस तरह किसी और की जान नहीं जाये, इसका उपाय होना चाहिए.
वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार : रेलवे
सीकेपी डिवीजन के सीनियर डीसीएम, एके हलदर ने कहा कि भारतीय रेलवे एक्ट के मुताबिक, फाटक खोलने और बंद करने का काम सिग्नल के आधार पर होता है. यह किसी एम्बुलेंस या इमरजेंसी को देखकर नहीं खोला जा सकता है. जहां तक लोको कॉलोनी का मामला है, तो हमलोग वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं. एक प्रारंभिक अध्ययन किया गया है कि अंडरब्रिज का निर्माण हो. इसके लिए प्रस्ताव है, प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही कोई फैसला होगा.