कोलियरी में कंपनी कर चुकी है डीए को लेकर बदलाव, हो रहा विरोध
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प्वाइंट वैल्यू पर कर्मचारियों का डीए तय करने का दबाव
कोलियरी में कंपनी कर चुकी है डीए को लेकर बदलाव, हो रहा विरोध कोल वेज की तर्ज पर छह की जगह सात साल के लिए समझौता करने का दबाव जमशेदपुर : टाटा स्टील में वेज रिवीजन को लेकर मैनजमेंट के साथ जल्द वार्ता शुरू होने वाली है. इस बार भी कोल वेज को लेकर टाटा […]
कोल वेज की तर्ज पर छह की जगह सात साल के लिए समझौता करने का दबाव
जमशेदपुर : टाटा स्टील में वेज रिवीजन को लेकर मैनजमेंट के साथ जल्द वार्ता शुरू होने वाली है. इस बार भी कोल वेज को लेकर टाटा स्टील में यूनियन व मैनेजमेंट के बीच समझौता हो चुका है. कोल वेज समझौता में डीए में बदलाव किया गया है. मैनेजमेंट खर्च कम करने के लिए यहां भी डीए में बदलाव चाहता है. स्टील वेज से लेकर एनएस ग्रेड समेत अन्य कर्मचारियों के डीए (महंगाई भत्ता) को कंट्रोल करने को कहा गया है. पुराने कर्मचारियों के डीए निर्धारण के लिए पहले से लागू फाॅर्मूले में बदलाव के संकेत दिए जा चुके हैं. यूनियन ने चार्टर्ड ऑफ डिमांड के बाद अब मैनेजमेंट की ओर से प्रस्ताव दिया जायेगा.
17 हजार कर्मचारियों का डीए अब तक प्रतिशत के आधार पर. कंपनी में स्टील ग्रेड के अंतर्गत कार्यरत करीब 17 हजार कर्मचारियों के डीए का निर्धारण अब तक प्रतिशत के आधार पर होता रहा है. अब इसे बदलकर एनएस ग्रेड की तरह इसमें प्वाइंट वैल्यू सिस्टम लागू करने की बात कही जा रही है. समझौते की अवधि को लेकर प्रबंधन एवं यूनियन के बीच पहले ही आम सहमति नहीं बन पा रही थी. पहले समझौता पांच साल का होता था, पिछली बार इसे छह साल किया गया और अब इसकी अवधि सात साल तक करने की तैयारी प्रबंधन कर चुका है.
ऐसे तय होता है कर्मियों का वेतन
केंद्र सरकार की ओर से तय फाॅर्मूले के अनुसार विभिन्न वस्तुओं की महंगाई के आधार पर वेज का निर्धारण किया जाता है. अगर टाटा स्टील में ग्रेड रिवीजन समझौता होता है तो वर्ष 2012 से 2017 के समझौते के समय अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े को वर्ष 2017 के आंकड़े से घटाया जायेगा. आंकड़े में अंतर के आधार पर प्रतिशत तय कर डीए निर्धारित किया जायेगा. डीए को समझौते की स्थिति में बेसिक के साथ जोड़कर एमजीबी निकाला जायेगा. एमजीबी को बेसिक व डीए से जोड़कर 2017 में कर्मचारियों का नया वेतन तय होगा. फिर समझौता लागू होने से अब तक की स्थिति के बीच का डीए निकालकर जोड़ा जायेगा. इस आधार पर समझौते की तिथि में कर्मचारियों का वेतन तय होगा.
ऐसे होता है एनएस कमचारियों का डीए का निर्धारण : टाटा स्टील एवं टाटा वर्कर्स यूनियन के बीत एनएस ग्रेड के कर्मचारियों का ग्रेड निर्धारण प्वाइंट के आधार पर होता है. अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े में जिस अंतर के आधार पर स्टील वेज के कर्मचारियों का प्रतिशत तय होता है. वहीं न्यू ग्रेड में कर्मचारियों के लिए अंतर को प्वाइंट मानकर तीन से गुना कर डीए की राशि फिक्स कर दी जाती है. कंपनी के करीब 3500 एनएन ग्रेड कर्मचारी डीए में विषमता के कारण पहले से भारी नुकसान उठा रहे हैं.
एनएस ग्रेड फॉर्मूला से न्यूनतम एक हजार तक नुकसान
एनएस ग्रेड का फाॅर्मूला लागू करने से न्यूनतम 10 हजार बेसिक पाने वाले कर्मचारियों को मासिक 1000 रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. टाटा स्टील में वेज रिवीजन समझौता वर्ष 2012 से 31 दिसंबर 2017 तक के लिए किया गया था. 1 जनवरी 2018 से कंपनी में ग्रेड रिवीजन लंबित है. ग्रेड रिवीजन पर होली के बाद बातचीत शुरू होने की उम्मीद है. वैसे चुनाव जीतने के बाद टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद कर्मचारियों को आश्वस्त कर चुके हैं कि यूनियन ऐसा कोई कदम नहीं उठायेगी जिससे कर्मचारियों को नुकसान हो. हाल ही में संपन्न चुनाव में विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर कई आरोप लगाये थे. इनमें एनएस ग्रेड का भी मुद्दा था. यूनियन पर आरोप लगता रहा है कि प्रबंधन के साथ समझौते में हर बार एनएस ग्रेड के कर्मचारियों की उपेक्षा की जाती है.
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