टायो संघर्ष समिति को िमली सफलता
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एनसीएलटी की अपीलेट ट्रिब्यूनल ने बनाया पार्टी
टायो संघर्ष समिति को िमली सफलता जमशेदपुर : टायो रोल्स के कर्मचारियों के लिए राहत की खबरें आयी हैं. एक ओर दिल्ली स्थित एनसीएलटी की अपीलेट ट्रिब्यूनल ने टायो संघर्ष समिति को पार्टी बनाने की इजाजत दे दी है. दूसरी ओर, बकाये वेतन के भुगतान संबंधी याचिका पर लेबर कोर्ट ने ‘वेतन में देरी’ के […]
जमशेदपुर : टायो रोल्स के कर्मचारियों के लिए राहत की खबरें आयी हैं. एक ओर दिल्ली स्थित एनसीएलटी की अपीलेट ट्रिब्यूनल ने टायो संघर्ष समिति को पार्टी बनाने की इजाजत दे दी है. दूसरी ओर, बकाये वेतन के भुगतान संबंधी याचिका पर लेबर कोर्ट ने ‘वेतन में देरी’ के बजाय ‘वेतन भुगतान नहीं करने’ के मामले पर सुनवाई करने को मंजूरी दे दी है. ऐसे में लेबर कोर्ट में अगर फैसला कर्मचारियों के पक्ष में आया तो उन्हें बकाये का 10 गुना पैसा मिलेगा.
टायो रोल्स को लेकर मैनेजमेंट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली स्थित अपीलेट ऑथोरिटी के पास केस दायर किया था. इस दौरान टायो संघर्ष समिति की ओर से भी सुनवाई के दौरान याचिका दायर की गयी जिसमें कहा गया कि इस मामले में उनको भी पार्टी बनाया जाये. मैनेजमेंट ने इसका विरोध किया था लेकिन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने यूनियन की मांग को सही करार देते हुए
संघर्ष समिति को भी पार्टी बना दिया. दरअसल, एलसीएलटी की कोलकाता बेंच के जस्टिस वीपी सिंह और जस्टिस जिनन केआर की अदालत ने संयुक्त रूप से उस केस को खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि एक दिसंबर 2016 को इंसॉलवेंसी एंड बैंकरप्सी कोड को लागू होने के 180 दिनों के भीतर ही इस केस को दायर किया जाना था, जो नहीं किया गया, इसलिए इसको खारिज किया जाता है. इसके अलावा टायो रोल्स को बंद करने को लेकर श्रम विभाग की ओर से भी मामले को खारिज कर दिया गया है. याचिका में प्रबंधन ने कहा था कि कंपनी को बंद करना जरूरी था और यह एक सही कदम है.
लेबर कोर्ट में पक्ष में फैसला आया तो मिलेगा 10 गुना पैसा
टायो रोल्स को बंद किये जाने के खिलाफ जमशेदपुर के लेबर कोर्ट में कुल 182 कर्मचारियों ने अलग-अलग मुकदमा दायर करते हुए मांग की थी कि उनके बकाये पैसाें का भुगतान करा दिया जाये क्योंकि उनके वेतन समेत तमाम सुविधाओं को गलत तरीके से बंद कर दिया गया है. इसके खिलाफ मैनेजमेंट ने भी दलील दी थी कि कर्मचारियों को पैसा दिया गया, लेकिन उन लोगों ने नहीं लिया. कोर्ट में टायो मैनेजमेंट की दलील थी कि यह मामला वेतन में देरी का है, जिस कारण उसकी सुनवाई उसी दायरे में ही होनी चाहिए, जबकि कर्मचारियों की ओर से दलील दी गयी थी कि मामला वेतन में देरी का नहीं बल्कि वेतन रख लेने का मामला है, इसलिए इसी के तहत सुनवाई होनी चाहिए. लेबर कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि यह मामला कर्मचारियों का ‘वेतन भुगतान नहीं करने’ का है. लिहाजा, इसी तहत आगे मामले की सुनवाई होगी. नियमों के मुताबिक, अगर ‘वेतन भुगतान में देरी’ के तहत कोर्ट में सुनवाई होगी तो जितना कर्मचारियों का वेतन बकाया होगा, उतना ही देना होगा, लेकिन अगर ‘वेतन नहीं देने’ के तहत सुनवाई होती है और कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आता है तो उनको 10 गुना वेतन मैनेजमेंट देगा.
सरायकेला डीसी को श्रम विभाग के प्रधान सचिव का आदेश : बकाया 2.81 करोड़ भुगतान करायें
टायो रोल्स के मामले को लेकर कर्मचारियों की ओर से श्रम विभाग में एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि कंपनी को गलत तरीके से बंद कर कर्मचारियों का वेतन व अन्य सुविधायें बंद कर दी गयीं. इसका टायो रोल्स ने विरोध किया था, लेकिन श्रम विभाग ने कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद कर्मचारियों ने 102 कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने की मांग को लेकर श्रम विभाग के प्रधान सचिव की कोर्ट में 33 सीए आइडी एक्ट के तहत मामला दायर किया था. इसकी सुनवाई करने के बाद श्रम विभाग के प्रधान सचिव ने आदेश दिया है कि कर्मचारियों का बकाया दो करोड़ 81 लाख रुपये का भुगतान करें. इसके लिए डीसी सरायकेला-खरसावां को कहा गया है कि वे सर्टिफिकेट इश्यू करते हुए कर्मचारियों का बकाया पैसा का भुगतान करायें.
लेबर कोर्ट ने भी मानी वेतन रोकने के तहत सुनवाई करने की मांग
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