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होटलों में सिसक रहा बचपन, टूट रहे सपने
निखिल सिन्हा जमशेदपुर : इंसान के लिए बचपन उसकी जिंदगी का सबसे नायाब पल होता है लेकिन शहर के कई मासूम ऐसे हैं, जो खेलने-कूदने की उम्र में बाल श्रम करने को मजबूर है. ये बच्चे होटल, ढाबे, ठेले में काम करते हैं. शहर का शायद ही कोई ऐसा थाना क्षेत्र है, जहां होटलों के […]
निखिल सिन्हा
जमशेदपुर : इंसान के लिए बचपन उसकी जिंदगी का सबसे नायाब पल होता है लेकिन शहर के कई मासूम ऐसे हैं, जो खेलने-कूदने की उम्र में बाल श्रम करने को मजबूर है. ये बच्चे होटल, ढाबे, ठेले में काम करते हैं.
शहर का शायद ही कोई ऐसा थाना क्षेत्र है, जहां होटलों के चूल्हों या ठेले पर मासूम न दिखे. परिवार की खराब हालत या अन्य कारणों से छोटी उम्र से ही ये बच्चे मजदूरी में जुट जाते हैं. कोई ढाबे में बर्तन धो रहा है तो कोई होटल में ग्राहकों को खाना सर्व कर रहा है. इसके अलावा शहर में वाहन धोते, वाहनों में हवा भरते, कूड़ा-कचरा चुनते बच्चे आसानी से देखे जा सकते हैं. बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौटाने के लिए प्रशासन की अोर से ऑपरेशन मुस्कान भी चलाया गया. बावजूद बच्चों के चेहरे पर मुस्कॉन नहीं लौटा पायी है. शहर में बाल मजदूरी का सिस्टम खुलेआम चल रहा है़
इस पर न तो श्रम विभाग की नजर जाती है और न ही पुलिस-प्रशासन की.तीन टाइम का खाना और 30 रुपये मजदूरी. शहर के एक होटल संचालक ने बताया कि बाल मजदूरों को होटलों में तीन टाइम का खाना और रोजाना 30 रुपये दिया जाता है. उन्होंने बताया कि जमशेदपुर में अधिकतर बच्चे आसनसोल, पुरुलिया, राउरकेला, कोलकाता, खड़गपुर, चाईबासा, मनोहरपुर से आते हैं. अधिकतर बच्चे भाग कर टाटानगर स्टेशन पहुंचते हैं. होटलों में काम के बारे में पूछते हैं. इसी दौरान उन्हें काम भी मिल जाता है. रेट कम होने के कारण होटल संचालक उसे काम पर रख लेते हैं .
ऑपरेशन मुस्कान में 58 बच्चों को कराया मुक्त. वर्ष 2016 में ऑपरेशन मुस्कान के द्वारा शहर से 58 बच्चों को मुक्त कराया था. उनमे से कई बच्चों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया था. लेकिन जिस दुकान और होटलों से बच्चों को विभाग ने प्राप्त किया था. उन सभी पर केस दर्ज नहीं कराया गया था. मात्र नौ होटल संचालकों पर केस दर्ज कराया गया था.
इस मामले में बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के मुख्य संयोजक सदन कुमार ठाकुर ने राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है.
बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान जमशेदपुर के द्वारा बाल मजदूरी करने वाले का सर्वेक्षण 2015-2016
स्थान बाल मजदूर
साकची 765
बिष्टुपुर 443
जुगसलाई 302
बागबेड़ा 578
परसुडीह 339
सुुंदरनगर 215
पोटका 499
टेल्को 577
गोविंदपुर 333
बहरागोड़ा 840
घाटशिला 505
सोनारी 308
कदमा 245
सीतारामडेरा 995
सिदगोड़ा 109
बिरसानगर 807
मानगो 777
उलीडीह 215
अाजादनगर 307
एमजीएम 218
कुल 9367
क्या कहता है बाल श्रम कानून
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेने वाले व्यक्ति व संबंधित फर्म के मालिक के पर कार्रवाई का प्रावधान है.इसके तहत व्यक्ति अथावा फर्म संचालक से 25 हजार रुपये जुर्माना वसूलने व बाल मजदूर के आश्रितों को मासिक पांच हजार रुपये देने का प्रावधान है. साथ ही बाल श्रमिक को प्रशासनिक अधिकारी की देख-रेख में बाल सुधार गृह में भेजने का प्रावधान है. इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग के अधिकारी को देकर उसके नामांकन की भी व्यवस्था की जाती है.
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