जमशेदपुर : टाटा स्टील देश की चार बड़ी स्टील कंपनियों को खरीदने की तैयारी में है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दिवालिया की प्रक्रिया का सामना करने वाली इन स्टील कंपनियों को खरीदने के लिए टाटा स्टील ने अपना एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेटर (अभिरुचि पत्र) नेशनल कंपनी लॉ िट्रब्यूनल (एनसीएलटी) में जमा भी करा दिया है.
इन कंपनियों में भूषण पावर एंड स्टील कंपनी, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स और एस्सार स्टील शामिल हैं. एनसीएलटी की कार्यवाही का सामना कर रहीं कंपनियों के लिए जिन कंपनियों ने अभिरुचि पत्र जमा कराया है, उनमें टाटा स्टील एकमात्र निवेशक है जिसने चारों परिसंपत्तियों की खरीदारी के लिए बोली लगायी है.
टाटा स्टील उत्पादन क्षमता दोगुनी करने की तैयारी में : टाटा स्टील ने अगले पांच साल में भारत में अपनी उत्पादन क्षमता 2.6 करोड़ टन (दोगुनी) करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए खुद के दम पर और विलय या अधिग्रहण दोनों रास्ता अपनाया जा सकता है.
हाल ही में कंपनी ओड़िशा के कलिंगानगर में दूसरे चरण के विस्तार की घोषणा कर चुकी है. जबकि जमशेदपुर में भी प्लांट का विस्तार कार्य चल रहा है. इसी बीच एनसीएलटी ने दिवालिया की प्रक्रिया निकाल दी, जिससे टाटा स्टील को एक बड़ा मौका हाथ लग गया है. यही वजह है कि चारों कंपनियों के लिए एनसीएलटी में टाटा स्टील ने मजबूत दावेदारी पेश कर दी है. अब कंपनी को जहां ज्यादा मुनाफा की स्थिति दिखेगी, वहां पर बोली में आगे बढ़ेगी.
झारखंड में टाटा स्टील के लिए ऑपरेशन चलाना आसान
टाटा स्टील ने जिन कंपनियों के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराया है, उनमें अधिकांश के एसेट्स कहीं न कहीं झारखंड और ओड़िशा में है, जहां टाटा स्टील की अपनी माइंस है. यहां टाटा स्टील का एकाधिकार है, जो उनको ऑपरेशन चलाने में मददगार होगा. एस्सार का भारत के पश्चिमी हिस्से में भी प्लांट है, जिस कारण उसका एक बड़ा आधार बन सकेगा.
मित्तल ने भी खरीदारी के लिए कमर कसी
टाटा स्टील की इकलौती दावेदारी देखते हुए विश्व के स्टील किंग कहे जाने वाले आर्सेलर मित्तल भी इस रेस में खड़ा होने की तैयारी में है.
बोली लगाने की अागे की प्रक्रिया क्या होगी
– अभिरुचि पत्र जमा कराये जाने के बाद संभावित बोलीदाता की सूची बनायी जायेगी.
– इंफॉर्मेशन मेमोरेंडम बोलीदाताओं के बीच बांटा जायेगा और आंकड़े मुहैया करा दिये जायेंगे
– अंत में बोली की प्रक्रिया होगी.
क्या है िबकनेवाली कंपनियों की स्थिति
भूषण स्टील : 5.6 मिलियन टन का उत्पादन करने वाला देश का तीसरा सबसे बड़ा स्टील प्लांट. जमशेदपुर में भी प्लांट लगाने के लिए जमीन अधिग्रहित है. देश के कई हिस्सों में भी इसके प्लांट के साथ ही मिनरल्स भी हैं.
मोनेट इस्पात : ओड़िशा के अंगुल में प्लांट है. यह कंपनी चंडीगढ़ में 230 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है. स्टील का उत्पादन रायगढ़ जिले में भी होता है, जिसकी क्षमता 1.5 मिलियन टन प्रति वर्ष की है.
इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स : बोकारो में कंपनी के 2.5 मिलियन टन का प्लांट है. पिग आयरन, टीएमटी बार बनाने वाली यह कंपनी है, जिसमें पिलेट का भी उत्पादन होता है.
एस्सार स्टील : यह 10 मिलियन टन की क्षमता वाली देश में स्टील उत्पादन करने वाली कंपनी है. झारखंड में इसकी अधिग्रहित की हुई जमीन है. यह स्टील का उत्पादन करने की तैयारी कर रही थी. इसी बीच कंपनी घाटे में पहुंच गयी, िजस कारण िबकने की नौबत आयी.
क्यों बिक रहीं कंपनियां
इन कंपनियों का बैंकों का घाटा इतना ज्यादा हो गया है कि रिकवरी के लिए एनसीएलटी ने बिक्री करने का आदेश दिया है. इस आदेश के तहत ही इन कंपनियों की बोली लगायी जा रही है ताकि कंपनियों को बेचकर बैंकों का घाटा कम किया जा सके. एनसीएलटी न्यायाधिकरण है, जो कंपनियों के मामले में फैसला लेता है और इसको आयफर और बायफर को बंद कर भारत सरकार ने बनाया है ताकि कंपनी के मामले का त्वरित निष्पादन हो सके.
विस्तार की संभावनाओं को तलाशा जा रहा : टाटा स्टील
टाटा स्टील के प्रवक्ता अमरेश सिन्हा ने बताया कि यह एक स्ट्रेटजी का हिस्सा है. विस्तार की संभावनाओं और एसेट्स की खरीद के बारे में कंपनी सोचती रहती है. इसी के तहत कंपनी कई कदम उठा रही है और सभी संभावनाओं पर काम कर रही है.
अमरेश सिन्हा, प्रवक्ता, टाटा स्टील