पुलिस सुस्त, बैंक अधिकारी चुप एटीएम में पैसा डालने के काम में हेराफेरी कर लाखों रुपये उड़ाने का मामलाएसआइपीएल कंपनी व बैंक की भूमिका पर भी उठ रहे है सवालकोडरमा. बैंक आॅफ इंडिया के एटीएम में पैसा डालने के नाम पर हुए लाखों रुपये के गबन के मामले में कोडरमा पुलिस अभी तक सुस्त दिख रही है, तो वहीं बैंक के अधिकारी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. जिस प्रकार बैंक आॅफ इंडिया के विभिन्न एटीएम में पैसा डालने का काम करनेवाली कंपनी सिक्यूरिटी ट्रांस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआइपीएल) द्वारा अलग-अलग मामले इतने दिनों बाद दर्ज कराये जा रहे हैं. उससे भी कई सवाल उठ रहे हैं.जानकारी के अनुसार बैंक के एटीएम में पैसा डालने का काम करनेवाली कंपनी एसआइपीएल के तिलैया शाखा का प्रबंधक विकास कुमार व राजेश पिलानिया ने पूरी कहानी रची, लेकिन इसमें कई लोगों के और मिलने होने की संभावना अब प्रबल होती दिख रही है. इसकी चर्चा भी जोरों पर है. वहीं इस मामले को लेकर एसपी नवीन कुमार सिन्हा की ओर से गठित की गयी टीम ने अब तक जांच भी शुरू नहीं की है. टीम का नेतृत्व कर रहे डीएसपी कर्मपाल उरांव ने पूछे जाने पर कहा कि अभी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं. ऐसे में जांच शुरू नहीं हो पायी. अब मतगणना के बाद ही कुछ हो पायेगा. ऐसे में सवाल उठ रहा कि जिन शातिर अपराधियों ने सबसे सुरक्षित माने जानेवाली एटीएम प्रणाली का ध्वस्त कर लाखों रुपये गबन कर लिए वे क्या इतनी आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आयेंगे और तब जब पुलिस पूरा मामला सामने आने के बाद सुस्त दिख रही है. बैंक व एसआइपीएल कंपनी की भूमिका पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि जब इतनी बड़ी राशि का घपला हुआ, तो मामला दर्ज कराने में इतनी देरी क्यों की गयी. यही नहीं बैंक से डिपोजिट स्टेटमेंट गायब होने की बात भी एसपी ने कही है. बता दें कि एटीएम में पैसा डालने के नाम पर हुए गबन की राशि अभी तक 34 लाख रुपये तक पहुंच गयी है. पहला मामला बरही में करीब 12 लाख रुपये गबन का तो, दूसरा मामला जयनगर में छह लाख 56 हजार रुपये के गबन का और तीसरा मामला चौपारण थाना में करीब 16 लाख रुपये गबन का दर्ज किया गया है. अहम बात यह भी है कि अलग-अलग थानों में मामला दर्ज होने से पुलिस को-आर्डिनेशन भी नहीं बैठा पा रही है.बीस दिन बाद दर्ज कराया गया मामला: एसआइपीएल कंपनी के शाखा प्रबंधक अजीत कुमार पांडेय की ओर से दिये गये आवेदन के अनुसार ही गड़बड़ी का खुलासा सात नवंबर से 12 नवंबर तक हुई जांच में हो गया था. राशि लाखों में है. गबन को लेकर पहली प्राथमिकी बीस दिन बाद यानी एक दिसंबर को बरही में दर्ज करायी गई. जानकारी के अनुसार कंपनी के अधिकारियों व सीएमएस की टीम ने सात नवंबर को तिलैया में जांच की थी. 12 नवंबर को बरही के एटीएम में जांच के दौरान गड़बड़ी सामने आ गयी थी. टीम में बेकअप कस्टोडियन प्रशांत कुमार, एसआइपीएल के जय कुमार, एसआइपीएल हेडक्वार्टर के मनमोहन, सीएमएस के उमेश, एफआइएस के प्रतिनिधि भूपेंद्र व नवीन शामिल थे. सीएमएस का निरीक्षण आॅडिट भी हुआ था.कोडरमा में पासपोर्ट बनाने का नहीं मिली रिपोर्ट: पुलिस की अब तक की सुस्त जांच में यह बात ही सामने आयी है कि आरोपियों का पासपोर्ट कोडरमा में नहीं बना है. बताया जाता है कि इनका पासपोर्ट कहीं और से निर्गत किया गया हो.
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पुलिस सुस्त, बैंक अधिकारी चुप
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