।। संजय सागर ।।
गणेश अपने पीछे पत्नी शिखा रानी, दो बेटी सोनल महतो एवं ख्याति महतो समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए. अंतिम संस्कार में दोनों पुत्रियों ने अपने पिता के पार्थिव शरीर को कंधा देकर जमनीडीह शमशान घाट पहुंचाए.
गणेश के स्कूली जीवन में बैचमेट रहे कई मित्रों भी उनके शवयात्रा में शामिल हुए. मुखाग्नि बड़े भाई श्री महतो ने दी.
* गणेश एक लैबोरियस एव ईमानदारी थे
गणेश महतो ने स्कूली जीवन में काफी गरीबी से जूझते हुए पढ़ाई की थी. वे कभी भी मेहनत से पीछे नहीं हटे. इमानदारी उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी. 1984 मैट्रिक परीक्षा में जिला स्कूल हजारीबाग के टॉपर रहे थे. सत कोलंबस से आई एस सी की परीक्षा बेहतर अंक लाकर फर्स्ट डिवीजन से पास किए थे. आगे की पढ़ाई में गरीबी के कारण गणेश आगे पढ़ नहीं पा रहे थे.
परंतु 1988 में पूर्व विधायक लोकनाथ महतो एवं भूतपूर्व प्रमुख गुरुदयाल महतो के सामाजिक सहयोग प्रयास से उनका एडमिशन इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद में कराया गया था और वहीं से एक अच्छे अफसर बनकर कई परियोजनाओं में उन्होंने बेहतर कार्य कर अपनी काबिलियत साबित की थी.
अंतिम संस्कार में शामिल लोगों में मुख्य रूप से पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, आजसू नेता रोशन लाल चौधरी, शशि कुमार बागे ,मनोज गुप्ता ,प्रवीण कुमार ,कृष्णा सिंह ,झम्मन महतो ,अर्जुन महतो, प्रवीण कुमार, संदीप कुशवाहा, भोला महतो ,कामेश्वर महतो, मनोज मंजीत ,कोलेश्वर महतो, प्रदीप कुमार ,अशोक कुमार महतो, धर्मनाथ महतो ,गोविंद महतो, नारायण महतो ,बालेश्वर महतो, टिकेश्वर महतो, द्वारिका महतो, डोमन महतो ,ज्ञानरंजन, सुनील प्रजापति, मनी महतो के अलावा सैकड़ों लोग अंतिम संस्कार में शामिल थे.