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गांवों में हावी हैं दलाल

निरीक्षण के दौरान केंद्रीय टीम ने माना दुर्जय पासवान गुमला : केंद्रीय टीम ने माना कि गुमला जिले के गांवों में अभी भी दलाल हावी हैं. इस कारण गांवों का जितना विकास होना चाहिए, वह नहीं हो सका है. आज भी गांव के लोग विकास को तरस रहे हैं. टीम का मानना है. अगर दलाल […]

निरीक्षण के दौरान केंद्रीय टीम ने माना
दुर्जय पासवान
गुमला : केंद्रीय टीम ने माना कि गुमला जिले के गांवों में अभी भी दलाल हावी हैं. इस कारण गांवों का जितना विकास होना चाहिए, वह नहीं हो सका है. आज भी गांव के लोग विकास को तरस रहे हैं.
टीम का मानना है. अगर दलाल विकास के कामों में दखल न दें, तो जरूरतमंद लोगों को विकास योजनाओं का लाभ मिलेगा. टीम ने यह निष्कर्ष गांव की महिलाओं की बात सुनने के बाद निकाला है. रायडीह प्रखंड के कांसीर पंचायत स्थित मरियमटोली गांव में केंद्रीय टीम के सदस्य सीधे गांव की महिलाओं से मुखातिब थे. 14 राज्यों के पदाधिकारी मरियमटोली में गांव की महिलाओं के साथ जमीन पर दरी पर बैठे. सीधी बात हुई. महिलाओं ने खुल कर अपनी बात बेबाक तरीके से रखा. इस दौरान ज्वाइंट सेक्रेट्री अपराजिता सारंगी ने कहा कि दलाल हावी हैं. इस कारण मजदूरों का पैसा कहीं और चला जाता है.
समय से मजदूरी भी नहीं मिलती. मनरेगा आयुक्त अशोक त्रिपाठी भी बातों को सुन कर लोगों से जागरूक होने के लिए कहा. मरियमटोली में कार्यक्रम संपन्न होने के बाद अधिकारियों का दल नक्सल प्रभावित कांसीर गांव पहुंचा. पक्की, फिर कच्ची सड़क से होते हुए डोभा निर्माण की जांच करने पहुंचे. कांसीर गांव की सरिता बेक के खेत में 40 #$$< # 40 #$$< # 10 साइज का डोभा बना है. टीम ने डोभा निर्माण की जांच की. उसकी उपयोगिता व पानी के ठहराव के बारे में लाभुक व काम कराने वाले लोगों से जानकारी ली. डोभा के निर्माण पर आधा घंटे तक चर्चा हुई, तभी बारिश शुरू हो गयी, तो टीम के लोग वहां से निकल कर रायडीह ब्लॉक पहुंचे, जहां योजनाओं की जानकारी ली.
पूरी टीम डीडीसी एनके सिन्हा व बीडीओ डॉ शिशिर कुमार सिंह के नेतृत्व में क्षेत्र का भ्रमण कर रही थी. इधर, एक टीम बसिया प्रखंड में घूम रही थी. डीसी श्रवण साय के नेतृत्व में टीम लोहड़ी गांव में मनरेगा से संचालित योजनाओं की जानकारी ली. मौके पर मजदूरी भुगतान, मेट के कार्य एवं उनकी जिम्मेवारी, ग्राम सभा का अधिकार, सीएफटी के कार्यों के बारे में जानकारी ली़
लंबित है मजदूरी का भुगतान
डोभा का निर्माण तेजी से चल रहा है, लेकिन कई ब्लॉक व पंचायत में अभी तक डोभा खोदने वाले मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है. इससे मजदूर परेशान हैं. यहां तक कि कुछ इलाकों में जेसीबी मशीन से डोभा खोदा गया है, लेकिन मशीन का पैसा भी भुगतान नहीं हुआ है. केंद्रीय टीम के समीप मजदूरी भुगतान का मामला आया.

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