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सुरक्षा गार्ड की कर रही है नौकरी

छत से कूद कर भागी थी दिल्ली में दो साल तक बंधक रही पुनिया दुर्जय पासवान गुमला : बसिया प्रखंड के पतुरा ढौठाटोली की 20 वर्षीया पुनिया (बदला नाम) दलालों के चंगुल से मुक्त होकर खुद की जिंदगी जी रही है. अभी वह रांची में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रही है. वर्ष 2009 में […]

छत से कूद कर भागी थी दिल्ली में दो साल तक बंधक रही पुनिया
दुर्जय पासवान
गुमला : बसिया प्रखंड के पतुरा ढौठाटोली की 20 वर्षीया पुनिया (बदला नाम) दलालों के चंगुल से मुक्त होकर खुद की जिंदगी जी रही है. अभी वह रांची में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रही है.
वर्ष 2009 में मानव तस्करों ने उसे दिल्ली के इंद्रपुरी कोठी में बेच दिया था, जहां उसके साथ मारपीट हुई. खाने के लिए भी नहीं मिलता था. घर की मालकिन बंधक बना कर रखती थी. 2011 में वह किसी प्रकार इंद्रपुरी कोठी से भाग कर पुलिस के पास पहुंची थी.
पुलिस के सहयोग से उसे रांची निर्मल छाया भेजा गया, जहां वह पांच साल तक रही और खुद की पहचान बनाने के लिए सिक्यूरिटी गार्ड में नौकरी शुरू की. बुधवार को उसे रांची से गुमला लाया गया. सीडब्ल्यूसी न्यायपीठ के समीप प्रस्तुत किया गया. सीडब्ल्यूसी ने पुनिया को उसके रिश्तेदार व बड़ाइक समाज के पदाधिकारियों को सौंप दिया है.
मां की मौत के बाद पिता चले गये पंजाब
पुनिया ने कहा कि जब छोटी थी, उसी समय मां का निधन हो गया. मां के निधन के बाद पिता पंजाब कमाने चले गये. घर में पुनिया व उसका छोटा भाई बच गये. भाई भी गरीबी के कारण पलायन कर गया. 2009 में गांव के ही मिलन साहू उसे प्रलोभन देकर दिल्ली ले गया. दिल्ली में इंद्रपुरी कोठी में बेच कर मिलन भाग गया. घर की मालकिन दिन भर काम कराती थी़ हर बात व काम पर मार मिलती थी. घर के लोग जब बाहर जाते थे, तो उसे घर के अंदर बंद कर जाते थे.
कई बार भागने का प्रयास किया
उसने कई बार घर से भागने का प्रयास किया़ वर्ष 2011 के अक्तूबर माह में घर के लोग कहीं गये थे़, उसी समय वह छत से कूद कर भाग निकली़ झाेपड़ी में रहनेवाली एक महिला ने उसे आश्रय दिया़ इसके बाद पुलिस को सूचना दी गयी. पुलिस ने पुनिया को कब्जे में लेकर उसे निर्मल छाया के संरक्षण में दे दिया.
सात साल बाद अपने भाई से मिली
निर्मल छाया ने पूनम का घर पूछा. उसे सिर्फ ढौठाटोली याद था. चूंकि उसे जब दिल्ली ले जाया गया था, उस समय उसकी उम्र 13 साल थी. इस कारण वह घर का ज्यादा पता नहीं दे सकी. दिल्ली से उसे रांची लाया गया. इसके बाद उसके घर का पता व परिजनों की खोजबीन की गयी. साढ़े पांच साल के बाद पूनम के घर का पता चला. तब उसे रांची से गुमला लाया गया और उसके रिश्तेदारों को सौंपा गया. सात साल बाद वह अपने भाई से मिली.
मौके पर बड़ाइक उत्थान समाज के प्रखंड अध्यक्ष शशिकांत भगत व रिश्तेदार शांति थी. पूनम का बयान सीडब्ल्यूसी सदस्य अलख नारायण सिंह, धनंजय मिश्र, डॉ अशोक मिश्र व संजय भगत ने लिया. इधर,बड़ाइक उत्थान समाज के प्रखंड अध्यक्ष शशिकांत भगत ने कहा कि पुनिया की शादी का खर्च समाज वहन करेगा.
पुनिया को सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में रखा गया था. आज उसे उसके रिश्तेदारों को सौंपा जा रहा है. समाज के लोगों की जिम्मेवारी है कि अब पुनिया के उम्र को देखते हुए उसे अच्छे घर में शादी करा दें.
तागरेन पन्ना, चेयरमैन, सीडब्ल्यूसी

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