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पाठ पढ़ने से पहले विद्यार्थी पढ़ते हैं माओवादी जिंदाबाद!

पालकोट: पालकोट प्रखंड से 25 किलाेमीटर दूर सनइडीह गांव स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षक व बच्चे उग्रवादियों की दहशत में जी रहे हैं. इस संबंध में प्रशासन को भी जानकारी दी गयी, लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. स्कूल के शिक्षक व बच्चों की मानें, तो यहां उग्रवादी कभी भी पहुंच जाते हैं. […]

पालकोट: पालकोट प्रखंड से 25 किलाेमीटर दूर सनइडीह गांव स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षक व बच्चे उग्रवादियों की दहशत में जी रहे हैं. इस संबंध में प्रशासन को भी जानकारी दी गयी, लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. स्कूल के शिक्षक व बच्चों की मानें, तो यहां उग्रवादी कभी भी पहुंच जाते हैं. हथियार टांग कर पढ़ाई के समय क्लास रूम में भी घुसते हैं.
बरसात के मौसम में स्कूल में उग्रवादी शरण लेते हैं. चार माह पहले पुराने स्कूल की दीवार पर उग्रवादियों ने भाकपा माओवादी जिंदाबाद लिखा था. उग्रवादियों ने शिक्षक को धमकी देते हुए कहा था कि अगर दीवार से माओवादी का नाम मिटाओगे, तो मिट जाओगे. इसके कारण डर से शिक्षक ने दीवार लेखन को नहीं हटाया है. शिक्षक मथुरा आइंद ने बताया कि हर बार माओवादी स्कूल में कुछ-न-कुछ लिखते हैं. पूर्व में मैंने दीवार लेखन को मिटा दिया था. उस समय जान से मारने की धमकी मिली थी. इसके कारण जब नये सिरे से माओवादियों ने दीवार लेखन किया, तो उसे डर से नहीं मिटाया.
स्कूल में वर्ग एक से लेकर आठ तक की पढ़ाई होती है. 55 विद्यार्थियाें का नामांकन हुआ है. एक शिक्षक मथुरा आइंद हैं. शिक्षक ने कहा कि प्रत्येक दिन 40 से 45 बच्चे स्कूल आते हैं. पहले स्कूल में एक और शिक्षक थे, लेकिन डर के कारण उन्होंने दूसरे स्कूल में अपना प्रतिनियोजन करा लिया. अब वे अकेले वर्ग एक
से आठ क्लास तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
नारा सीआरपीएफ ने भी नहीं मिटाया
गुरुवार को सीआरपीएफ 218 बटालियन ने स्कूल परिसर में सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत शिविर लगा कर गरीब लोगों के बीच जरूरत की सामग्री बांटी. कई बड़े पदाधिकारी थे, लेकिन सीआरपीएफ ने भी दीवार लेखन को नहीं मिटाया. वह भी तब, जब स्कूल से कुछ दूरी पर ही सड़क के किनारे पहाड़ की गुफा से सीआरपीएफ ने दो सिलिंडर बम बरामद किया है.
आते-जाते रहते हैं उग्रवादी, बीडीओ व सीओ कभी नहीं आये
छात्रा सावित्री, देवकी, मनप्रीत, दिनेश, विनय व शिव ने कहा कि उग्रवादी आते -जाते रहते हैं. अब वे लोग उग्रवादियों को देखने के अभ्यस्त हो गये हैं. कोई डर -भय नहीं लगता है. दीवार पर लिखे भाकपा माओवादी जिंदाबाद को हर रोज पढ़ते हैं. कोई मिटा नहीं रहा है. उस स्कूल में बीडीओ व सीओ कभी नहीं गये. सनइडीह स्कूल पहाड़ व जंगलों के बीच है. रास्ता नहीं है. पहाड़ से होकर जाना पड़ता है. कभी-कभी पुलिस उग्रवादियों को खोजते हुए पहुंच जाती है. वह भी दो तीन साल में एक बार पुलिस आती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
स्कूल की दीवार पर माओवादी जिंदाबाद लिखा है. इसकी जानकारी नहीं है. बीइइओ को निर्देश दिया है कि दीवार लेखन को जल्द मिटाया जाये और एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की जाये.
एसडी तिग्गा, डीएसइ, गुमला
स्कूल बहुत दूर है. घने जंगल व पहाड़ हैं. उग्रवाद क्षेत्र तो है. फिर भी मैंने स्कूल के शिक्षक से कहा है कि दीवार लेखन को जल्द मिटा दें, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़े.
राजकुमार सिंह, बीइइओ, गुमला
गुरुवार को सीआरपीएफ व पुलिस ने स्कूल में कैंप लगाया था. दीवार लेखन को क्यों नहीं मिटाया गया, इसे देख लेते हैं. दीवार लेखन को मिटाया जायेगा.
भीमसेन टूटी, एसपी, गुमला

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