बसिया: शनिचर झोरा की भैंस के मारने से मौत की खबर छपने के बाद झारखंड आंदोलनकारियों में शोक की लहर है. कामडारा व बसिया प्रखंड के आंदोलनकारियों ने शनिवार को बैठक कर शोक संवेदना प्रकट की.
बैठक में आंदोलनकारी विजय कच्छप ने कहा कि झारखंड आंदोलन में अपने आप को न्योछावर करने वाले आज हमारे बीच नहीं है. यह क्षति अपूर्णीय क्षति है. इसे हम सभी आंदोलनकारी कभी भूल नहीं सकते है. उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन के दौरान शनिचर 1992 में आंदोलन के दौरान जेल भी गये थे.
वहीं गृह विभाग द्वारा 2004 मंे जारी की गयी झारखंड आंदोलनकारी नामक पुस्तक में भी उनका नाम अंकित है. इसके अलावा वनांचल तरूहतिकरण नामक पुस्तक में भी उनका नाम अंकित है. ऐसे आंदोलनकारी को एक ओर जहां सम्मान मिलना चाहिए. वहीं इनके परिवार को मुआवजा मिलना तो दूर, इनके निधन पर शोक संवेदना प्रकट करने वाला कोई नहीं है. शोक संवेदना प्रकट करने वालों में जितेंद्र भगत, त्रिवेणी साहू, सुरेंद्र नायक, कृष्णा गोप, सिदिक अंसारी, जुवेल टोपनो आदि आंदोलनकारी शामिल है.