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मुर्गी पालन कर बदल रही गुमला की तसवीर

दुर्जय पासवान गुमला : अशिक्षा+ गरीबी+पलायन, फिर मुर्गी पालन. बदली गांव की तस्वीर. हम बात कर रहे हैं रायडीह प्रखंड के सिलम गांव की, जहां की महिलाओं ने अपने बूते एक अलग पहचान बनायी. मुर्गी पालन से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गयी. सिलम गांव […]

दुर्जय पासवान
गुमला : अशिक्षा+ गरीबी+पलायन, फिर मुर्गी पालन. बदली गांव की तस्वीर. हम बात कर रहे हैं रायडीह प्रखंड के सिलम गांव की, जहां की महिलाओं ने अपने बूते एक अलग पहचान बनायी. मुर्गी पालन से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गयी. सिलम गांव की महिलाओं ने जिस प्रकार मुर्गी पालन से खुद व गांव की तस्वीर बदली है, उसकी प्रशंसा दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है.
मोदी ने गुमला डीसी श्रवण साय के कार्यों की भी प्रशसा की है. पीएम की प्रशंसा के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास नौ जनवरी को गुमला आ रहे हैं. वे सिलम गांव जायेंगे, जहां महिलाओं द्वारा किये गये मुर्गी पालन को देखेंगे. साथ ही महिलाओं से बात करेंगे. इधर, सीएम के कार्यक्रम को लेकर सोमवार को डीडीसी एनके सिन्हा व बीडीओ सिलम गांव पहुंचे. गांव के लोगों को सीएम के आने की जानकारी देते हुए कार्यक्रम की तैयारी का जायजा लिया. वहीं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने एएसपी सरोज कुमार, एसडीपीओ भूपेंद्र प्रसाद राउत व थानेदार राजेश कुमार सिंह पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे. अधिकारियों ने कहा कि सीएम को लेकर कड़ी सुरक्षा रहेगी.
हवाई मार्ग से 11 बजे पहुंचेंगे गुमला
मुख्यमंत्री रघुवर दास व अपर मुख्य सचिव के साथ-साथ वरीय पदाधिकारियों के दल द्वारा रायडीह प्रखंड अंतर्गत सिलम पंचायत पहुंच कर पॉलिट्री फॉर्म का अवलोकन किया जायेगा.
मुख्यमंत्री सिलम के पॉलिट्री फॉर्म के अवलोकन के साथ-साथ पॉलिट्री फॉर्म के महिला मंडल के संचालकों से भी बातचीत करेंगे. मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से 11 बजे गुमला एयरपोर्ट पहुंचेंगे, फिर सड़क मार्ग से सीधे सिलम पहुंच कर महिला मंडल की सदस्यों से मुखातिब होंगे. मुख्यमंत्री के अचानक आगमन को लेकर गुमला जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है. सोमवार दोपहर को सूचना मिलने के उपरांत उपायुक्त गुमला के निर्देश पर उपविकास आयुक्त व जिला के वरीय पदाधिकारियों के दल ने सिलम का दौरा किया और मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारी को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किया
महिलाएं ताकतवर हुई हैं. चाहे वह खेल, खेतीबारी, शिक्षा या फिर रोजगार के क्षेत्र हो. गुमला में कई ऐसे उदाहरण हैं. कई महिलाएं भी हैं, जिन्होंने अपने बूते कुछ किया और अपनी एक अलग पहचान बनायी. इतना ही नहीं, महिलाओं ने सिलम गांव की तस्वीर भी बदल दी.
श्रवण साय, डीसी, गुमला
सिलम गांव में कभी पिछड़ापन था. उग्रवाद था. अशिक्षा का माहौल था. लेकिन महिलाओं ने मुर्गी पालन व अन्य क्षेत्रों में जो काम किया है, आज इन महिलाओं को पूरा गुमला जानता है. इन लोगों ने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ चुकी है.
एनके सिन्हा, डीडीसी, गुमला
प्रधानमंत्री ने की है पॉलिट्री फॉर्म की प्रशंसा
मालूम हो कि दिल्ली में चार व पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में ट्रांसफॉर्मिग इंडिया बाय 2022 कार्यक्रम में उपायुक्त गुमला श्रवण साय द्वारा पॉलिट्री फॉर्म और जिले में संचालित अन्य विकास योजनाओं के संबंध में प्रेजेंटेशन दिया गया था. जिसमें खुद प्रधानमंत्री ने पॉलिट्री फॉर्म व महिला मंडल के सदस्यों के साथ-साथ गुमला जिला प्रशासन की प्रशंसा की थी. शायद मुख्यमंत्री इसी कारण इस पॉलिट्री फॉर्म के अवलोकन के लिए सिलम पधार रहे हैं.
इस प्रकार महिलाओं ने लिखी बदलाव की कहानी
रायडीह प्रखंड के सिलम गांव की महिलाएं सशक्त हैं. 10 वर्ष पूर्व इस गांव की महिलाएं अपने पति व बच्चों के साथ काम के लिए ईंट भट्ठा पलायन कर जाती थी. लेकिन आज गांव में हर एक घर के लोग मुर्गी पालन से जुड़ आर्थिक रूप से स्वावलंबी हुए हैं. गांव की सरिता देवी, परीबा देवी, फुलमनी देवी, गोहमा देवी, बोलो देवी, सुकरो देवी, जयमनी देवी, सीता देवी व कार्तिका देवी ने गांव में मुर्गी पालन शुरू किया. एक माह में ही उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया. हर महिला महीने में तीन से पांच हजार रुपये मुर्गी पालन से कमाने लगी.
इसके बाद गांव में मुर्गी पालन के प्रति महिलाओं में रूचि पैदा हुई. आज सिर्फ सिलम गांव में 200 से अधिक महिलाएं मुर्गी पालन से जुड़ी हुई हैं. यहां तक कि हर घर में अपना पॉल्ट्री फार्म है. सिलम की मुर्गी की गुमला व रांची जिला सहित छत्तीसगढ़ व ओड़िशा में बिक्री होती है. महिलाओं ने अपनी जमा पूंजी से सिलम में दाना गोदाम केंद्र सहित कई भवन का निर्माण कराया है. सिलम गांव की खासियत यह है कि जब से महिलाएं घर का बोझ अपने ऊपर लिया है, कोई भी बच्चा अनपढ़ नहीं है. लड़का-लड़की स्कूल जाती हैं और गुमला के अच्छे स्कूलों में पढ़ाई भी कर रही हैं. यहां नशापान पर भी अंकुश लगा है.

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