गुमला : सर, पुल टेढ़ा है. सड़क भी जर्जर है. पहाड़ व गड्ढों से होकर सफर करते हैं. सड़क व पुल जर्जर होने के कारण बड़ी मुश्किल से स्कूल आते-जाते हैं. यह दुखड़ा सोमवार को स्कूली बच्चों ने गुमला डीसी श्रवण साय को सुनाया. छात्रों के अलावा करीब 10 हजार की आबादी पुल व सड़क के अभाव में प्रभावित है. बात हो रही है बिशुनपुर प्रखंड की हेलता व चिरोडीह पंचायत की.
ये दोनों पंचायत उग्रवाद प्रभावित है. दोनों पंचायतों के विद्यार्थी समेत कई लोग रोजाना करीब 14 किमी तक जर्जर सड़क से होकर बिशुनपुर प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं. ज्ञात हो कि 10-12 वर्ष पूर्व आरइओ विभाग से सड़क बनी थी. सड़क बनने के बाद कुछ दूरी तक सड़क का कालीकरण भी हुआ था. इधर, 10-12 वर्ष गुजर जाने के बाद एक बार भी सड़क की मरम्मत नहीं हुई, जिस कारण सड़क पर नुकीले पत्थर निकल आये हैं. सड़क पर जहां-तहां गड्ढा भी बन गया है. विद्यार्थी व ग्रामीण रोजाना इसी सड़क से आवागमन कर रहे हैं. चिरोडीह पंचायत अंतर्गत कोयल नदी पर बना पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया है. पुल मरम्मत की मांग को लेकर ग्रामीणों ने बिशुनपुर विधायक को आवेदन दिया है. वहीं हाल के दिनों में क्षेत्र में लगे जनता दरबार में भी ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को आवेदन दिया है, लेकिन अब तक उक्त आवेदनों पर किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई है.
पुल क्षतिग्रस्त है, कभी भी गिर सकता है : ग्रामीण
लाल टाना भगत, विजय भगत, गोले भगत, गुरुदेव उरांव, मीनू उरांव, हेनरी तिर्की, बुटना उरांव, सुशील मुंडा, रोहित प्रभात टोप्पो, बंधन उरांव, इग्नासियुस बड़ा व विमल कुजूर आदि ग्रामीणों ने बताया कि सही सड़क के अभाव में क्षेत्र के ग्रामीणों को आये दिन परेशानी हो रहा है. चिरोडीह पंचायत अंतर्गत कोयल नदी पर बना पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया है. गांव से प्रखंड मुख्यालय तक आने-जाने के लिए सड़क और पुल एकमात्र सहारा है. सड़क की स्थिति खराब है, वहीं पुल कभी भी धराशायी हो सकता है.
क्या कहती हैं छात्राएं
हेलता व चिरोडीह पंचायत से लगभग 14 किमी की दूरी तय कर पढ़ाई के लिए बिशुनपुर पहुंचने वाली छात्रा कुसुम किंडो, सुभानी कुजूर, संतोषी उरांव, सुगंती उरांव, सविता उरांव, निरमइन उरांव, स्वाति कुमारी व मुस्कान बड़ाइक आदि ने उपायुक्त से सड़क और पुल मरम्मत कराने की मांग की है. अपनी इस मांग को लेकर छात्राएं गांव के कुछ लोगों के साथ सोमवार को उपायुक्त से मिलने पहुंची थी, जहां छात्राओं ने बताया कि पढ़ाई करने के लिए रोजाना लंबा सफर तय करते हैं. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाये अथवा डिलेवरी पेसेंट है, तो उसे भारी परेशानी होती है.