गोड्डा : सुंदरपहाड़ी प्रखंड प्राकृतिक रूप से ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट है. रोजगार की संभावना वाले इस प्रखंड में रेशम के कीड़े पालकर ग्रामीण आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं.
जरूरत है बेहतर सरकारी प्रयास की. प्रखंड के तिलाबाद पंचायत के कई गांवों में शामिल तिलाबाद, सुंदरपहाड़ी एवं इसके अलावा जितपुर, पहाड़पुर आदि क्षेत्रों में शहतूत आदि में रेशम के कीड़े बेहतर तरीके से पाले जा रहे हैं. तिलाबाद का रहने वाला सनत मरांडी कोकुन की खेती कर जिंदगी संवारने में जुटा है. सनत मरांडी के अनुसार करीब तीन माह पहले लार्वा कीट में डाला गया था. तीन माह के बाद कोकुन बनकर तैयार हो गया.
बेहतर मुनाफा नहीं
सनत मरांडी का कहना है कि इसमे ज्यादा मुनाफा नहीं है. बताया कि पूरे जंगल से तीन से चार हजार का भी कोकुन नहीं है. जबकि सनत को लार्वा आदि के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है.
बताया कि यदि खेती में सरकारी सहयोग मिलता तो और भी बेहतर परिणाम हो सकता था. सनत मरांडी के साथ उसके चार से पांच सदस्य कोकुन को पेड़ से निकालकर छांटने में दिन भर लगाते है. पूरे पेड़ से कोकुन निकालने में कई दिन लग लग जाते हैं. श्रम के मुताबिक मजदूरी भी नहीं मिल पाती है.
सरकार से सहयोग मिले तो होगा मुनाफा
सुंदरपहाड़ी जैसे पिछड़े तथा आदिवासी क्षेत्र के लोगों को यदि सरकार की ओर से रेशम के कीड़े पालने के लिये बेहतर सहयोग मिले तो मुनाफा के साथ आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. लेकिन वर्तमान में किसानों को सरकार की ओर से बेहतर सुविधाएं नहीं मिल रही है. इस कारण किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है.