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शिक्षा अधिकार अधिनियम का उड़ रहा माखौल
गोड्डा : सूबे में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू है. बावजूद जिले में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अनदेखी विभाग की ओर से ही की जा रही है. शहर के उपायुक्त निवास से आधे किमी की दूरी पर स्थित फसियाडेंगाल मुहल्ले के अंसारीटोला के प्राथमिक विद्यालय का अपना भवन नहीं है. वर्षो […]
गोड्डा : सूबे में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू है. बावजूद जिले में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अनदेखी विभाग की ओर से ही की जा रही है. शहर के उपायुक्त निवास से आधे किमी की दूरी पर स्थित फसियाडेंगाल मुहल्ले के अंसारीटोला के प्राथमिक विद्यालय का अपना भवन नहीं है.
वर्षो से स्कूल सरकारी शेड में चलाया जा रहा है. चारों ओर से बोरे की चट्टी से घेरे हुए आवरण के अंदर स्कूली बच्चों को बैठा कर पढ़ाया जाता है.
यह हाल तब है जब राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर स्कूलों को अपग्रेड करने की मुहिम को पूरा करने में विभाग जोर-शोर से लगा है. कहीं तो सर्व शिक्षा अभियान की ओर से भवन का निर्माण करा दिया जाता है तो कहीं विद्यालय के लिए स्कूली बच्चों को तरसना पड़ रहा है. शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों के लिए स्कूल में पठन-पाठन के तमाम साधन मुहैया कराने की बात कही गयी है. लेकिन ऐसा लगता है कि अधिनियम में उल्लेखित प्रावधान को सिर्फ फाइलों की शोभा बना कर रखी गयी है.
विद्यालय भवन बनाने का प्रयास नहीं
विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहम्मद इब्राहिम ने बताया कि विद्यालय में कुल 76 बच्चे नामांकित हैं. जिसमें अधिकांश बच्चे प्रतिदिन स्कूल आते हैं. कहा कि वे जब से विद्यालय में पदस्थापित हैं, तब से विद्यालय शेड में ही चला रहे हैं. कहा कि ऐसा नहीं है कि नये भवन को बनाये जाने के लिए प्रयास ही नहीं किया गया. बताया कि विभाग पूर्ण रूप से मामले को लेकर अवगत है.
विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है. इसलिए इसका निर्माण नहीं हो पाया है. इसके कारण शेड के अंदर बोरे पर बैठ कर बच्चे अध्ययन करते हैं.
नाले से सटे विद्यालय परिसर में खिलाया जाता है मध्याह्न् भोजन
शेड के अंदर स्कूली बच्चों को पढ़ाया जाता है. वहीं शेड से बाहर खुले मैदान में मध्याह्न् भोजन योजना के तहत बच्चों को भोजन कराया जाता है. तसवीर देख कर अव्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है. उक्त स्थान से नाले की दूरी महज चार हाथ है, ऊपर से आस-पास आवारा कुत्तों की मौजूदगी रहती है. ऐसे में संक्रमण से बच्चों को गंभीर बीमारी का भी डर बना रहता है. दूषित माहौल में बच्चों को खाना खाना पड़ रहा है. वहीं विभाग के पदाधिकारी मौन हैं. अब तक विद्यालय भवन बनाने का प्रयास नहीं किया गया है. ऐसा नजारा एक दिन का नहीं है बल्कि प्रत्येक दिन का है.वहीं कीचन भी नाले से तकरीबन आठ हाथ पर है.
ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों की स्थिति और भी जजर्र
गोड्डा में अधिनियम के अनुपालन के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है. योजना का हाल ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बुरा है. गोड्डा जिले में इसे सख्ती से लागू नहीं किया गया है. नतीजा स्कूलों में घटती छात्रों उपस्थिति, पढ़ाई की गुणवत्ता में ह्रास, योजना का लाभ बच्चों तक नहीं पहुंचना, कक्षा अवधि में स्कूल के वक्त बच्चों का खेलते रहना आम है. इसकी चिंता न तो विभागीय पदाधिकारियों को है न ही स्कूल के शिक्षकों को.
‘‘विद्यालय को मर्ज करने की तैयारी पूरी हो चुकी है. प्रारंभिक शिक्षा समिति की बैठक में प्रस्ताव का अनुमोदन कर मुख्यालय को भेजा गया है.अनुमोदित होने पर आगे की कार्रवाई होगी.’’
-कमला सिंह, जिला शिक्षा अधीक्षक, गोड्डा
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