जहां चाह, वहां राह. खेतों में पड़ने लगी थी दरार, किसान हो गये थे हताश
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श्रमदान कर कझिया नदी को बांधा
जहां चाह, वहां राह. खेतों में पड़ने लगी थी दरार, किसान हो गये थे हताश यदि ठान लें, तो कुछ भी करना कठिन नहीं है. व्यवस्था से थके-हारे गोड्डा के सैकड़ों ग्रामीणों ने खुद ही कुदाल उठा ली और बांध बना दिया. अब खेतों में पानी की नहीं होगी दिक्कत गोड्डा : शासन से कहते […]
यदि ठान लें, तो कुछ भी करना कठिन नहीं है. व्यवस्था से थके-हारे गोड्डा के सैकड़ों ग्रामीणों ने खुद ही कुदाल उठा ली और बांध बना दिया.
अब खेतों में पानी की नहीं होगी दिक्कत
गोड्डा : शासन से कहते कहते थक गये, नेताओं से लाख बिनती की लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया, ताे लोगों ने खुद के हौसले को बुलंद किया आैर उठा लिया कुदाल. श्रम दान किया और एक-एक हाथ की मदद से बांध बना डाला. बात गोड्डा प्रखंड के जमनी पंचायत की हो रही है. इस पंचायत के सैकड़ों ने मुट्ठी बांधी और एक-एक की मदद से कझिया नदी पर बांध बना दिया.
किसानों की मानें तो इस बांध से आसपास की करीब 5000 एकड़ खेतों को पानी मिल जायेगा. सूखे से अब डरने की जरूरत नहीं. बता दें कि इस इलाके के खेत कड़ी धूप के कारण फट गये थे. अब बांध बन गया, सबको पानी मिलेगा. मरने वाले धान अब लहलहा उठेंगे.
चेकडैम नहीं बनाये जाने से हो रही है परेशानी
किसानों ने बताया कि चेकडैम नहीं होने से यह परेशानी हो रही है. दांड तक पानी नहीं जा पाता है. ग्रामीण रवि पंजियारा, लालकिशोर राउत, अरुण सिंह, नागेश्वर, प्रमोद वैद्य आदि ने बताया कि चेकडैम निर्माण हो जाने से यह परेशानी खत्म हो जायेगी.कहा कि इस मांग को लेकर डीसी का दरवाजा भी अब खटखटायेंगें. बताया कि जनप्रतिनिधियों से इस बाबत कई बार गुहार लगा चुके हैं.
बालू उठाव से जलस्तर भागा
किसानों का कहना है कि कझिया नदी से सालों भर पटवन की व्यवस्था होती थी. लेकिन जब से बालू उठाव किया गया है यहां का जलस्तर नीचे चला गया है. यही कारण है कि कझिया नदी से पानी लेने के लिए किसानों को अस्थायी तौर पर बांध बनाना पड़ा. यदि ऐसा नहीं करते तो हजारों एकड़ में लगी फसल बरबाद हो जाती.
नदी ही एकमात्र सहारा
गाेड्डा प्रखंड के हरिपूर, गरबन्ना, कन्हवारा, जमनी घाट, बेलारी, नेमोतरी, शामपुर, भेड़ा, आदि मौजा के तकरीबन 5000 एकड़ जमीन में खेती के लिए कझिया नदी का पानी एकमात्र सहारा है. बारिश नहीं होने के कारण इलाके के खेत फट गये. धान के मरने की स्थिति हो गयी.
कहते हैं िकसान
”हर साल इस परेशानी से किसानों को जूझना पड़ रहा है. चेकडैम का निर्माण करा दिया जाता तो यह परेशानी नहीं होती देखने वाला कोई नहीं है. फरियाद लगाकर थक चुके हैं.
-लालचंद वैद्य
”चेक डैम का निर्माण नहीं होने से यह परेशानी हो गयी है सिर्फ चेकडैम का निर्माण करा दिया जाता तो यह परेशानी नहीं होती.
-सुमंत सिंह
”पानी के अभाव में खेत फट रहे हैं देखने वाला तक कोई नहीं है. चेकडैम का निर्माण करा दिया जाता तो यह परेशानी नहीं होती ग्रामीणों ने चंदा आदि कर नदी में जेसीबी चलाकर पानी पहुंचाने का प्रयास किया है.
-भैरव राउत
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