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क्या बदलेगी शहर की सूरत, टिकी निगाहें

गिरिडीह : नगर पर्षद की पहली बैठक में शहरी विकास के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव पारित तो कर दिया गया, लेकिन इन योजनाओं पर कब तक अमल किया जायेगा यह अब भी एक सवाल है. नप के नवगठन में 80 प्रतिशत पूर्व के ही वार्ड सदस्य चुन कर आये हैं. बदले हैं तो सिर्फ […]

गिरिडीह : नगर पर्षद की पहली बैठक में शहरी विकास के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव पारित तो कर दिया गया, लेकिन इन योजनाओं पर कब तक अमल किया जायेगा यह अब भी एक सवाल है. नप के नवगठन में 80 प्रतिशत पूर्व के ही वार्ड सदस्य चुन कर आये हैं. बदले हैं तो सिर्फ नप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष.

विदित हो कि पूर्व नगर पर्षद के गठन के समय भी कई बार बैठक कर शहर में रैनबसेरा बनाने का निर्णय हुआ था. टैक्स वसूली का राजस्व बढ़ाने, पेयजल की व्यवस्था सुदृढ़ करने का भी निर्णय लिया गया था, लेकिन शहर के कई इलाकों में आज भी पानी की किल्लत बरकरार हैं. पूर्व में भी बैठकें होती रही, लेकिन इन सब पर सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ता रहा.

शहरवासियों के मन में आज भी दुविधा है कि क्या अगले पांच वर्षो में शहर का विकास होगा? सूत्रों की मानें तो पूर्व में भी रैनबसेरा को लेकर नगर पर्षद द्वारा कई बार बैठक हुई, लेकिन आज तक यह निर्णय नहीं लिया जा सका कि रैनबसेरा कहां और कब बनेगा. रिक्शा एवं ठेला चलाने वालों का बसेरा झंडा मैदान बना हुआ है. बरसात हो या जाड़ा या गरमी, ये सभी खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं.

इस दफा नप की बैठक में रैनबसेरा बनाने का प्रस्ताव पारित कर लिया गया और स्थल का चयन भी बस पड़ाव के पास ही किया जा चुका है. लेकिन यह कब तक बन कर तैयार होगा यह कहना मुश्किल है. दूसरी ओर बस स्टैंड के सामने सीसीएल की भूमि पर मार्केट बनाने का मामला कई वर्षो से चल रहा है.

इसके लिए तीन बार सीसीएल प्रबंधन को एनओसी के लिए नगर पर्षद द्वारा पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन आज तक सीसीएल की ओर से नप को कोई जवाब नहीं दिया गया है. इस मामले में नप की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ऐसी स्थिति में एनओसी मांगते हुए मार्केट निर्माण किया जायेगा.

नप बोर्ड ने शहर के छोटे होटलों से पांच सौ रुपये, बड़े होटल से हजार रुपये, धर्मशाला एवं प्राइवेट नर्सिग होम से दो हजार रुपये प्रतिमाह सरचार्ज के रूप में सफाई आदि के लिए अतिरिक्त कर वसूलने का निर्णय लिया है.

वहीं नप क्षेत्र में होर्डिग लगाने पर अब विज्ञापनकर्ताओं को दस रुपये प्रति वर्गफीट की दर से भुगतान करना होगा. इन सभी करों की वसूली करने में बोर्ड को कई तरह की परेशानी ङोलनी पड़ सकती है. इस तरह की कर वसूली के लिए कैसे निर्णय लिया जायेगा यह भी एक चुनौती का विषय है.
– सुमरजीत सिंह –

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