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रतजगा करने को विवश ग्रामीण
कुपित गजराज. 18 अगस्त से गिरिडीह में जमा है हाथियों का झुंड विकास की होड़ में जल-जंगल-जमीन का अंधाधुंध दोहन बढ़ा है. इससे न सिर्फ वनवासी हाशिये पर जाते गये, बल्कि बेघर होते वन्य जीवों से समाज भी असुरक्षित हुआ है. हाथियों के गांवों में प्रवेश करने के साथ उनके उत्पात के रूप में यह […]
कुपित गजराज. 18 अगस्त से गिरिडीह में जमा है हाथियों का झुंड
विकास की होड़ में जल-जंगल-जमीन का अंधाधुंध दोहन बढ़ा है. इससे न सिर्फ वनवासी हाशिये पर जाते गये, बल्कि बेघर होते वन्य जीवों से समाज भी असुरक्षित हुआ है. हाथियों के गांवों में प्रवेश करने के साथ उनके उत्पात के रूप में यह संकट इन दिनों विकट होता जा रहा है. विभाग को संकट से बचाने के अपने उपायों पर विचार करना चाहिए कि इनसे हाथियों की झल्लाहट तो नहीं बढ़ेगी.
गिरिडीह : हाथियों का उत्पात गिरिडीह के लिए नयी बात नहीं. हर वर्ष सितंबर से मई-जून तक हाथियों का झुंड गिरिडीह के विभिन्न इलाकों में घूम-घूम कर उत्पात मचाता रहता है. हाथियों की चपेट में आने से कई ग्रामीणों की जान भी जा चुकी है. इस बार समय से पहले ही हाथियों का झुंड गिरिडीह पहुंच चुका है. कई स्थानों पर उसका तांडव भी शुरू हो गया है. बार-बार के उत्पात के बाद भी विभाग हाथियों से बचाव का कारगर उपाय नहीं ढूंढ़ पाया है. इन सीमाओं के बावजूद विभागीय स्तर से इस पर पैनी नजर लगी हुई है.
झुंडों का जारी है उत्पात : समाधान के रूप में हर बार हाथियों को जिला के बाहर खदेड़ दिया जाता है. लेकिन झुंड की पुन: वापसी हो जाती है. इस बार भी हाथियों का झुंड गिरिडीह पहुंचते ही तबाही मचाने लगा है.
झुंड के गांव में पहुंचने के बाद से ग्रामीण रतजगा कर हाथियों को गांव से खदेड़ रहे हैं. पहले दिन हाथियों ने सदर प्रखंड की जसपुर पंचायत के दो गांवों में फसलों को नुकसान पहुंचाया तो एक घर में तोड़-फोड़ भी की. इसके बाद हाथी पीरटांड़ के कुम्हरलालो पहुंचे और फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद डुमरी प्रखंड में प्रवेश कर गये. यहां ससारखो में बुधवार की रात डेढ़ एकड़ में लगी फसल को नुकसान पहुंचाया. यहां से हाथी का झुंड सरिया वन प्रक्षेत्र के रतनाडीह जंगल पहुंचा. यहां भी फसलों को नुकसान पहुंचाया. शुक्रवार की रात को ग्रामीणों ने हाथियों के झुंड को खदेड़ कर डुमरी प्रखंड की ओर कर दिया.
नहीं बना कॉरीडोर
हाथी खुद भी सुरक्षित रहे और लोगों को भी नुकसान नहीं हो, इसके लिए घने जंगल की जरूरत होती है. अभी गिरिडीह का पीरटांड़, डुमरी व सरिया के ही इलाके जंगलों से घिरे हैं. इस इलाके में गिरिडीह से दुमका तक हाथियों के लिए कॉरीडोर बनाने की मांग उठती रही है, लेकिन अब तक पहल नहीं हुई है. लोगों का कहना है कि कॉरीडोर बनने से हाथी जंगलों में रहेंगे और आबादी सुरक्षित रहेगी.
पूरी स्थिति पर है नजर : डीएफओ
डीएफओ कुमार आशीष बताते हैं कि हाथी अभी जंगल में भटक रहे हैं. हाथियों की गतिविधि पर पूरी नजर बनी हुई है. आबादी वाले इलाके से हाथी को दूर रखने का प्रयास सतत जारी है. ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है.
गांवों में हाथियों के प्रवेश करने पर बरती जानेवाली सावधानी से लोगों को सचेत किया जा रहा है. इस बार हाथियों के झुंड के प्रवेश करने के बाद से ही उन्हें भगाने के लिए बांकुड़ा से विशेषज्ञों की टीम बुलायी गयी. अभी 12 सदस्यीय टीम के साथ वन विभाग के 15 वन रक्षी इलाके में तैनात किये गये हैं. कॉरीडोर की बाबत उच्चाधिकारियों को लिखा गया है.
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