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जमीन से संबंधित 50 हजार विवाद बढ़ा, प्रशासन बेफिक्र
अकेले गढ़वा जिले में 27 हजार इंट्री अशुद्ध जमीन किसी और का और इंट्री किसी और के नाम पर होने से बढ़े हैं विवाद अशुद्धियों की वजह से ऑनलाइन रसीद काटने का काम हो रहा है प्रभावित गढ़वा : गढ़वा जिले में जल्द ही भूमि विवाद से संबंधित मामले बढ़नेवाले हैं. प्रशासन की लापरवाही का […]
अकेले गढ़वा जिले में 27 हजार इंट्री अशुद्ध
जमीन किसी और का और इंट्री किसी और के नाम पर होने से बढ़े हैं विवाद
अशुद्धियों की वजह से ऑनलाइन रसीद काटने का काम हो रहा है प्रभावित
गढ़वा : गढ़वा जिले में जल्द ही भूमि विवाद से संबंधित मामले बढ़नेवाले हैं. प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा यहां के आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है़ बीते वर्ष गढ़वा जिले के सभी अंचलों के भूमि से संबंधित दस्तावेज ( खतियान एवं रजिस्टर-2) को ऑनलाइन करने का काम पूरा किया गया है़ लेकिन इसमें भारी पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं.
ऑनलाइन करने का यह काम नवंबर 2016 में पूरा किया गया है़ लेकिन इसमें काफी कम योग्यतावाले कंप्यूटर ऑपरेटरों को इंट्री के लिए लगाये जाने की वजह से खाता, प्लॉट व रैयत का नाम चढ़ाने आदि में काफी अशुद्धियां हो गयी हैं. इस वजह से तब से ही लगातार रैयत अपने-अपने जमीन की इंट्री सुधारने के लिए हल्का कर्मचारी व अंचल से लेकर उपायुक्त तक का चक्कर लगा रहे हैं. प्रशासन द्वारा दी गयी इस अनावश्यक परेशानी की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी जमीन की खरीद-बिक्री पर पड़ रहा है़ वर्तमान समय में वैसे लोग जो जमीन बेच कर अपने पुत्री या बहन की शादी करने का लक्ष्य बनाये हुए थे, वे इससे काफी परेशान हो गये हैं. चूंकि पिछले करीब एक साल से ही ऑनलाइन रसीद काटने का काम बंद कर दिया गया है़ लेकिन अशुद्धि की वजह से ऑनलाइन भी रसीद नहीं कट रही है़ जमीन से संबंधित जानकारों की मानें, तो करीब 80-90 प्रतिशत इंट्रियां अशुद्ध हैं.
पूरे गढ़वा जिले में 50 हजार से ज्यादा इंट्री सुधार से संबंधित शिकायत पत्र अंचलों में प्राप्त हुए हैं. अकेले गढ़वा अंचल में 27 हजार शिकायत पत्र प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों पर चलाये आंदोलन व अंचल में उमड़ी रैयतों की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से राज्य सरकार को इसकी सूचना दी गयी़ सूचना प्राप्त होने के बाद राज्य सरकार की ओर से दो बार सुधार करने के लिए 15-15 दिन का समय देते हुए पोर्टल खोला गया़ लेकिन सुधार सिर्फ अंचल पदाधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर से ही होने का नियम बनाया गया. इस वजह से इसमें अपेक्षित सुधार नहीं हो सका़
बताया जाता है कि अंचल पदाधिकारी की व्यस्तता की वजह से इंट्री सुधार का संतोषजनक प्रगति नहीं हो सकी है़ 15 मार्च से 31 मार्च तक इंट्री सुधारने के लिए पोर्टल खोली गयी थी़ लेकिन इस बीच मात्र 300 इंट्रियां ही गढ़वा अंचल में सुधारी जा सकी हैं. गढ़वा जिले में लंबित अशुद्ध इंट्री कब तक शुद्ध की जायेगी, इसका सही-सही जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है. जबकि जमीन से संबंधित मामलों के लिए प्रतिदिन आम लोग भटक रहे हैं. मुख्य रूप से वैसे लोग ज्यादा बेचैन दिख रहे हैं, जिनका खाता प्लॉट दूसरे के नाम पर चढ़ गया है़ ऐसे में आनेवाले समय में भूमि पर कब्जा एवं विवाद से संबंधित मामले बढ़ने की प्रबल संभावनाएं हैं.
इस संबंध में गढ़वा अंचल पदाधिकारी सह गढ़वा जिले में ऑनलाइन इंट्री के कार्य में विशेष योगदान देनेवाले बैजनाथ कामती ने बताया कि इंट्री सुधारने का काम इसका उनके पास कोई सही जवाब नहीं है़ उन्होंने राज्य सरकार से पांच महीने का समय मांगा है़ उन्होंने बताया कि सरकार यदि उनके डिजिटल हस्ताक्षर से इंट्री सुधारने के निर्देश को हटाकर सामान्य रूप से सुधारने का निर्देश देती है, तो यह काम पांच महीने में पूरा हो जायेगा़ अन्यथा इसमें काफी समय लग सकते हैं.
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