गढ़वा में खुशबू को ‘कैरम की रानी’ कहा जाता है. उस जिले में, जहां कैरम सिखानेवाला भी कोई नहीं है, खुशबू ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है. खुशबू कक्षा छह में पढ़ती थी, जब उस पर कैरम का जुनून छाया. बिना किसी प्रशिक्षण के जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के चैंपियनशिप खेल चुकी है. दर्जनों खिताब अपने नाम किये हैं.
विनोद पाठक
गढ़वा : गढ़वा में खुशबू ‘कैरम की रानी’ के रूप में जानी जाती है. उस पर कैरम का जुनून तब सवार हुआ, जब कक्षा छह में पढ़ती थी. तबसे उसकी उंगलियां कैरम के स्ट्राइकर पर चलने लगी. इसके बाद तो मानो कैरम का उसे नशा हो गया. गढ़वा जिले में कैरम का कोई कोच नहीं होने के बावजूद उसने इस खेल में अपना और अपने जिले का नाम रोशन किया है.
कोचिंग की व्यवस्था नहीं होने की वजह से खुशबू अपने घर के एक कमरे में अकेले खेलती रहती थी. अकेले खेल-खेल कर खुशबू कैरम में इस कदर पारंगत हो गयी कि जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनायी. उसने न केवल राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में भाग लिया, बल्कि कई खिताब भी जीते. अब तक 70-80 नेशनल चैंपियनशिप मैच खेल चुकी है.
इस क्रम में उसके कमरे राष्ट्रीय, जोनल एवं इंटर जोनल स्तर के दर्जनों मेडल जीते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर विनर एवं रनरअप के कई खिताब अपने नाम करने के बाद खुशबू अब विश्वविजेता बनना चाहती है. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोिगता में भारत के लिए खेलना और जीतना चाहती है.
खुशबू की प्रतिभा से प्रभावित होकर वर्ष 2004 में उसे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) पटियाला ने 8,400 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की. तब उसने हैदराबाद में आयोजित सबजूनियर नेशनल टूर्नामेंट में भाग लिया और भारत में दूसरा स्थान प्राप्त किया. इसके बाद वह लगातार डिस्ट्रक्टि चैंपियन बनती रही.
पांच बार झारखंड स्टेट चैंपियन बनी. वर्ष 2011 में देहरादून में आयोजित ऑल इंडिया यूथ चैंपियनशिप में खुशबू ने खिताब जीता. इसके बाद से वह यूथ कैरम में भारत की नंबर एक खिलाड़ी बन गयी. खुशबू के इस प्रदर्शन को देख कर इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) से कॉन्ट्रैक्ट का ऑफर आया. तीन साल तक इंडियन आॅयल की ओर से खेलने के बाद इस समय वह ओएनजीसी के लिए कैरम खेलती है.
खुशबू को अब तक विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से सम्मान मिल चुके हैं. गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस समारोह में गढ़वा जिला प्रशासन ने खुशबू को दो बार सम्मानित किया. सृजन कला मंच, अखिल भारतीय पत्रकार परिषद ने उन्हें मातृशक्ति प्रतिभा सम्मान दिया. हिंदी दैनिक प्रभात खबर ने खुशबू को प्रतिभा सम्मान देकर सम्मानित किया.
जमीन आपकी, पौधे सरकार के
पर्यावरण संरक्षण के लिए और जंगलों को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने न जाने कितनी योजनाएं बनायीं. योजनाएं बनीं और करोड़ों-अरबों रुपये खर्च हो गये, लेकिन वन क्षेत्र बढ़ने के बजाय लगातार घटते गये. योजनाओं के पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गये. समस्या को झारखंड की नयी सरकार ने पहचाना और ऐसी योजना लायी है, जिसमें जनभागीदारी होगी. उम्मीद है कि इस बार वन क्षेत्र का घनत्व जरूर बढ़ेगा.
जगरनाथ
बे कार पड़ी निजी जमीन अब होगी हरी-भरी. इसके लिए, सरकार ने एक योजना बनायी है. मुख्यमंत्री जन-वन योजना. इस योजना के तहत निजी जमीन पर सरकार पौधारोपण करेगी. इमारती व फलदार पौधे लगाये जायेंगे. सबसे अच्छी बात यह है कि जिस जमीन पर सरकार पौधे लगायेगी, उस जमीन के मालिक को अनुदान भी मिलेगा. एक और अच्छी बात यह है कि पौधा जब वृक्ष का आकार ले लेगा, तो उसका भी लाभ जमीन के मालिक को ही मिलेगा.
गुमला जिले के किसानों को जन वन योजना के तहत लाभ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. गुमला जिला प्रशासन को 500 एकड़ भू-खंड पर इमारती और फलदार पौधे लगाने की जिम्मेवारी मिली है. इसके लिए वन विभाग ने जमीन मालिकों से ऑनलाइन लेना शुरू कर दिया है.
लाभुकों का चयन कर पौधारोपण कराने की जिम्मेवारी सोशल फॉरेस्ट डिवीजन सिमडेगा को दी जायेगी. इस काम की मॉनिटरिंग व किसानों को जागरूक करने का काम गुमला वन विभाग कर रहा है. प्रति एक एकड़ भूखंड पर 445 इमारती और 160 फलदार पौधे लगाने हैं. यह किसान की इच्छा पर है कि वह कौन सा पौधा लगाना चाहता है.
बढ़ानी है जन भागीदारी : डीएफओ ने बताया कि सरकार पौधरोपण में जन भागीदारी बढ़ाना चाहती है. इसी उद्देश्य से यह योजना शुरू की गयी है. पहले विभाग जंगल में पौधे लगाने तक ही सिमट कर रह जाता था. इसमें जन भागीदारी कम होती थी. लेकिन, सरकार की ‘जन वन योजना’ से जन भागीदारी बढ़ेगी. इससे जंगल बढ़ेंगे भी और जंगल सुरक्षित भी रहेंगे.
लाभुक के खाते में जायेगा पैसा
गुमला डीएफओ अजीत कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की पहल से जन वन योजना का कोई भी व्यक्ति, जिसकी जमीन खाली पड़ी है, लाभ उठा सकता है. फलदार व इमारती पौधे लगाने हैं. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना है. इसमें वन विभाग के लोग किसानों का सहयोग करेंगे. इमारती व फलदार पौधे की जो दर तय है, उसमें आधा पैसा लाभुक के खाते में जमा होगा. शेष पैसे का भुगतान काम के अनुरूप किया जायेगा.
तय दर
फलदार पौधे लगाने के लिए में प्रति एकड़ 250 रुपये तीन साल तक मिलेंगे. वहीं, इमारती पौधे लगाने पर प्रति एकड़ भूखंड में पौधे लगाने पर 73.65 रुपये लाभुक के खाते में तीन साल तक दिया जायेगा. इससे किसान आराम से पौधे की देखभाल कर उसे बड़ा कर सकते हैं.