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अपने अधिकार के लिए एकजुट हो समुदाय : रामचंद्र

बड़गड़. : जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड के बैनर तले सोमवार को अनुसूचित जनजाति समुदाय के क्रियान्वयन की अवहेलना के संबंध में महामहिम राज्यपाल महोदया द्रौपदी मुर्मू के नाम बीडीअो को मांग पत्र सौंपा गया. मांग पत्र सौंपने वालों में मंच के संयोजक रामचंद्र सिंह, प्रांत श्रद्धा जागरण प्रमुख रामजी उरांव,अरुण देव भगत, संघ प्रमुख भंडरिया […]

बड़गड़. : जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड के बैनर तले सोमवार को अनुसूचित जनजाति समुदाय के क्रियान्वयन की अवहेलना के संबंध में महामहिम राज्यपाल महोदया द्रौपदी मुर्मू के नाम बीडीअो को मांग पत्र सौंपा गया. मांग पत्र सौंपने वालों में मंच के संयोजक रामचंद्र सिंह, प्रांत श्रद्धा जागरण प्रमुख रामजी उरांव,अरुण देव भगत, संघ प्रमुख भंडरिया अंबिका सिंह, जिला संगठन मंत्री सुमन उरांव एवं शोधन उरांव शामिल हैं.
दिये गये मांगपत्र में लिखा है की झारखंड प्रदेश जनजाति बहुल राज्य है और संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य के लगभग 118 प्रखंड को अधिसूचित क्षेत्र के रूप में रखा गया है. इस क्षेत्र में अधिकतर जनजाति समाज के लोग निवास करते हैं. अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के साथ ही अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा व संरक्षण के साथ-साथ अभिभावक का दायित्व राज्य में राज्यपाल के रूप में आपके पास है.
इसलिए माननीय महोदया जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड जनजाति समाज के निम्नलिखित हक और अधिकारों के हनन को रोकने हेतु त्वरित यथोचित कदम उठाने का नम्र निवेदन करते हैं. गुवाहाटी उच्च न्यायलय व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के आधार पर ऐसी भूमि के बड़े पैमाने पर हुए अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाये और वर्तमान परंपरागत सामाजिक, धार्मिक जनजाति पुरोहितों, नाइकी, मांझी, पाहन, पुजार, बैगा, देवरी, प्रधान आदि को प्रदान किया जाये.
इसके बावजूद इस समाज के पास से जमीन गैर जनजाति के दबंग व दलालों के पास जा रही है. वैसे ही आज झारखंड प्रदेश में सरकार के बाद सबसे अधिक जमीन ईसाई मिशनरियों के पास है, जबकि यहां पर इतना कठोर कानून लागू है, फिर भी ईसाई मिशनरी के पास जनजाति समाज की जमीन कैसे चली गयी. इसकी भी सरकार जांच कराये. महामहिम राज्यपाल महोदय से निवेदन किया है कि उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए मूल जनजाति समुदाय को उनको संवैधानिक हक दिलाने का आग्रह किया है.

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