उल्लेखनीय है कि झीना गांव में तालाब का निर्माण मजदूरों के बजाय जेसीबी मशीन से की गयी थी. इसमें मजदूरों का फर्जी हस्ताक्षर व ठेपा लगाकर तथा फर्जी जॉब कार्ड के माध्यम से राशि की निकासी की गयी थी़ इससे संबंधित खबर पिछले साल प्रभात खबर में 16 नवंबर को प्रकाशित हुई थी.
अखबार में प्रकाशित खबर के आधार पर तत्कालीन उप विकास आयुक्त जगत नारायण प्रसाद ने एसडीओ के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित की थी़ जांच कमेटी ने खबर को सत्य पाया था़ एसडीओ की अनुशंसा के पश्चात संबंधित पक्षों से राशि वसूली से संबंधित कार्रवाई की गयी है़ जांच रिपोर्ट में डाकघर के पोस्ट मास्टर को भी इसमें संलिप्त पाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुशंसा की गयी है़
वर्तमान बीडीओ को एक सप्ताह के अंदर राशि वसूली करने एवं पोस्ट मास्टर पर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिये गये हैं. उल्लेखनीय है कि जांच करने गये एसडीओ ने भौतिक मुआयना में पाया था कि तालाब में जेसीबी का उपयोग किया गया है़ महिला मेठ बसंती देवी, उनके पति राजबली उरांव, उप मुखिया आदि ने जेसीबी के उपयोग को सही बताया था़ ग्रामीणों ने योजना में विनोद मेहता को बिचौलिया के रूप में शामिल रहने की बात कही थी़