दुमका : शिक्षित व्यक्ति ही अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों को जान-समझ सकते हैं. शिक्षकों को जो जिम्मेदारी समाज में मिली है, उसे उन्हें ईमानदारीपूर्वक निर्वहन करना चाहिए. शिक्षक ही छात्र के आदर्श हैं, इसलिए शिक्षकों में समर्पण का भाव भी जरूरी है. उक्त बातें समाज कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी ने झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा रवींद्र जयंती पर आयोजित एक शैक्षिक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही.
उन्होंने माध्यमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार एवं नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विकास व परिवर्तन के लिए सबों की सहभागिता जरूरी है. शिक्षक नियमावली में जो सुधार की अपेक्षाएं की जा रही है, उसकी समीक्षा अवश्य होनी चाहिए. अध्यक्षीय संबोधन में आरडीडीइ अच्युतानंद ठाकुर ने कहा कि शिक्षक अपना सर्वश्रेष्ठ दें. विद्यालय में वृक्षारोपण, जल संरक्षण पर ध्यान देने के साथ-साथ पुस्तकालय एवं प्रयोगशाला को सुदृढ़ करने तथा प्राचार्योँ से बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने का आह्वान किया. वहीं नप अध्यक्ष अमिता रक्षित ने शिक्षा को अनमोल ज्योति बतायी.
कार्यक्रम में चंद्रशेखर यादव, सीके ठाकुर, दिलीप कुमार झा, अनंत लाल खिरहर, अशोक कुमार साह, सुबलचंद्र सिंह, विनय कुमार भगत आदि मौजूद थे.