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लीड. रानीश्वर की ताड़ी बंगाल के मुर्शिदाबाद व नादिया के 200 परिवारों के जीवन में भर रहा मिठास खजूर रस से गुड़ बना कर हजारों की कमाई कर रहे बंगाल के लोग……..प्रतिनिधि, रानीश्वरप्रकृति के देन का कोई कैसे लाभ उठाता है, यह उसकी सोच और इरादे पर निर्भर करता है. इस इलाके में जहां देहाती ईलाकों में नशे के लिए ताड़ी का इस्तेमाल होता है, वहीं पश्चिम बंगाल के नादिया व मुर्शिदाबाद के लोग इसी देहाती इलाके के उसी खजूर की ताड़ी का गुड़ बनाकर अपनी जिंदगी में मिठास भर रहे हैं.दरअसल संताल परगना के विभिन्न पहाड़ी इलाके में बड़े पैमाने पर खजूर के पेड़ है. पर शायद ही कोई स्थानीय इसका उपयोग अपनी बेहतर आजीविका या रोजगार के लिए कर पाता है. यहां के बेकार पड़े खजूर पेड़ों की कीमत शायद स्थानीय लोगों को पता नही है, पर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के लोग इसकी अहमियत को समझते हैं. मेहनत कर बेकार पड़े खजूर की पेड़ों से रस निकाल कर हजारों की कमाई कर रहे हैं दुर्गापूजा के बाद प्रतिवर्ष पश्चिम बंगाल के वीरभूम, मुर्शिदाबाद व नादिया आदि जिलों से सैकड़ों परिवार यहां डेरा डालकर बेकार पड़े खजूर के पेड़ों से रस निकाल कर गुड़ बनाकर बेचते हैं़ एक मौसम में एक-एक टीम को बीस हजार से पचास हजार रूपये तक कमाई कर अपने गांव को लौटती है. इस साल भी जिले के दुमका, रानीश्वर, मसलिया, शिकारीपाड़ा आदि प्रखंड क्षेत्र में पश्चिम बंगाल से लोग पहुंच खजूर गुड़ बनाकर बेच रहे हैं पचास रूपये से अस्सी रूपये प्रति किलो की दर से यह गुड़ हाथोंहाथ बिक रहा है.रानीश्वर प्रखंड के कैराबनी व आसपास के इलाके में तथा दुमका सिउड़ी मुख्य पथ के दोनों किनारे मुरजोड़ा से बागनल तक खजूर बनाने का काम चल रहा है़ ठंड के मौसम में खजूर गुड़ बनाने का धंधा लघु उद्योग का रूप ले चुका है़ इस क्षेत्र में खजूर गुड़ से स्थानीय लोग भी आयसृजन कर सकते हैं, पर प्रशासन उन्हें थोड़ा प्रशिक्षित करे, प्रेरित करे तब. स्थानीय लोग खजूर रस से ताड़ी बनवा कर पी जाते हैं़ स्थानीय जिला प्रषासन व स्वयं सेवी संस्था पहल करे तो स्थानीय लोग भी अच्छा रोजगार कर सकते हैं.मुरजोड़ा गांव के पास गुड़ बना रहे नदिया जिले के नाकासीपाड़ा से आये यासीन शेख ने बताया कि वे यहां पांच साल से आ रहे हैं. उनके साथ नादिया से दर्जनों परिवार आये हैं बताया कि दुर्गापूजा के समय आये हैं और जनवरी माह के अंत तक रहेंग़े इस मौसम में तीस से पचास हजार रूपये तक आमदनी होती है़ ठंड ज्यादा रहने से ज्यादा रस निकलता है़ इस साल ठंड कम है़ इसलिए गुड़ भी कम हो रहा है़ नादिया जिले से ही आये रानीबहाल के पास गुड़ बना रहे हातेम शेख ने बताया कि इस क्षेत्र में बहुत सारे खजूर के पेड़ बेकार पडे रहते हैं़ बेकार पड़े पेड़ों से रस निकाल कर गुड़ बनाकर बेच रहे हैं इससे कुछ आमदनी हो जाती है़ नदिया से ही आये मंगलापोखर के पास रहकर गुड़ बना रहे शेख जसीम व घसाई शेख ने बताया कि पांच सालों से वे यहां पहुंच गुड़ बनाकर बेचते हैं़ ठंड कम होते ही यहां से चले जाते हैं़ …………….फोटो 30 डीएमके/रानीष्वर- 4 5 व 6दुमका-सिउड़ी मुख्य पथ के किनारे खजूर गुड़ बनाते लोग.

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