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दो उच्चस्तरीय पुलों ने बदल दी हजारों लोगों की जिंदगीबेदिया-नोनीहथवारी के बाद अब भेमरी नदी पर बना पुलआसनसोल-नाला की दूरी 15 किमी घटीमसलिया व जामा के दक्षिण पूर्वी गांवों के लाखों लोगों का जिला मुख्यालय पहुंचना हुआ आसान आनंद जायसवाल, दुमकालंबे संघर्ष के बाद अगर उसका परिणाम सार्थक मिलता है, तो काफी खुशी होती है. […]

दो उच्चस्तरीय पुलों ने बदल दी हजारों लोगों की जिंदगीबेदिया-नोनीहथवारी के बाद अब भेमरी नदी पर बना पुलआसनसोल-नाला की दूरी 15 किमी घटीमसलिया व जामा के दक्षिण पूर्वी गांवों के लाखों लोगों का जिला मुख्यालय पहुंचना हुआ आसान आनंद जायसवाल, दुमकालंबे संघर्ष के बाद अगर उसका परिणाम सार्थक मिलता है, तो काफी खुशी होती है. लगभग तीन दशक के संघर्ष के बाद पूर्वी-दक्षिणी जामा तथा मसलिया प्रखंड के सैकड़ों गांवों के तकरीबन दो लाख की आबादी को ऐसी ही खुशी मिली है. यह खुशी है उनके ईलाके में दो उच्चस्तरीय पुलों के बन जाने से. साल भर पहले 20 करोड़ रुपये की लागत से मयुराक्षी नदी पर दुमका प्रखंड के बेदिया और जामा प्रखंड के नोनीहथवारी घाट के बीच पुल का निर्माण हुआ था. अब दूसरा पुल बना है लगभग 11 करोड़ की लागत से भेमरी नदी पर. दरअसल मसानजोर डैम के बन जाने के बाद एक तो इस क्षेत्र के लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था, दूसरा आवागमन में परेशानी भी बढ़ गयी थी. यही वजह थी कि इन दोनों पुलों के निर्माण की मांग को लेकर साढ़े तीन दशक तक से कर करते रहे थे. इन गांवों के लोगों की बदल रही जिंदगीगणोशडीह, बाघासोल, घाघरा, सुग्गापहाड़ी, बेलुडाबर, बाजरमारा, ठेकहा, उपरबहाल, गोबिंदपुर, मसलिया, पहाड़गोड़ा, नोनी, हथवारी, मकरमपुर, कठलिया, छैलापाथर, सीतपहाड़ी आदि घट गयी दूरी. सड़क बनी तो आवागमन हो जायेगा बेहतरइन दोनों पुलों के बन जाने से मसलिया एवं जामा के पूर्वी-दक्षिणी ईलाके के गांवों में रहने वालों का जिला मुख्यालय पहुंचना आसान हो गया है. उनके लिए लगभग पंद्रह किलोमीटर की दूरी कम हो गयी है, वहीं दुमका के लोगों को मसलिया, नाला और पश्चिम बंगाल के आसनसोल शहर तक आना-जाना बहुत ही आसान हो गया है. इतना ही नहीं मसलिया के कठलिया और आसपास गांवों के मछुवारों, सब्जी का उत्पादन करने वाले कि सानों के लिए यह पुल आर्थिक खुशहाली का अवसर तो उपलब्ध करा ही रहा है, हजारों लोग, जो गांव में बेरोजगार बैठे रहते थे, साइकिल से सात-आठ किमी की दूरी कर दुमका से हर दिन दिहाड़ी मजदूरी कर 200-300 रुपये तक कमाकर लौटते हैं. इतना ही नहीं कॉलेज आने-जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए भी यह पुल वरदान साबित हो रहा है. ………….‘‘हमें अक्सर कारोबार के सिलसिले में आसनसोल आना-जाना पड़ता है. ऐसे में यह पथ बहुत राहत देने वाला साबित हो रहा है. सड़क बन गयी, तो आने-जाने में पंद्रह-सोलह किमी का सफर कम हो जायेगा.’’सुमित, युवा व्यवसायी…………..‘‘इस सड़क पर पुल की मांग हमलोग लंबे समय से कर रहे थे. पुल बन गया. अब सड़क भी बन जाय, तो काफी सहूलियत हो जायेगी. जिला मुख्यालय तक आना-जाना सुविधाजनक हो जायेगा’’- जयप्रकाश पंडित, ग्रामीण…………‘‘इन दोनों पुलों के बन जाने से विकास से उपेक्षित गांवों तक खुशहाली आने लगी है. रोजगार के रास्ते बन रहे हैं. कोई मजदूरी के लिए तो कोई साग-सब्जी और मछली बेचने के लिए आज शहर आना-जाना कर रहे हैं. – केदारनाथ, ग्रामीण………….‘‘पुल नहीं थे, तो बरसात के समय में नदी के दूसरे छोर पर जाने के लिए 20-25 किमी घूमकर आना-जाना पड़ता था. कोई अपनी लड़की की शादी नहीं देना चाहता था. अब ऐसी स्थिति नहीं रहेगी.’’- अमरकांत, ग्रामीण………….फोटो3-दुमका-01: भेमरी नदी पर बना पुल3-दुमका-02: ,,3-दुमका-03: साल-डेढ साल पहले बना बेदिया नोनीहथवारी घाट पर पुल………3 दुमका 04: सुमित3 दुमका 05: जयप्रकाश3 दुमका 06: केदारनाथ3 दुमका 07: अमरकांत………..

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