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प्रभात खबर का बचपन बचाओ अभियान: थिंक पॉजिटिव, डू बेस्ट के मंत्र से करें लक्ष्य हासिल

धनबाद : प्रभात खबर की ओर से धनसार के अशोक नगर िस्थत राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में शुक्रवार को बचपन बचाओ अभियान का आयोजन किया गया. इस दौरान विशेषज्ञों ने छात्राओं के विभिन्न सवालों के जवाब दिये. कार्यक्रम में छात्राओं ने कहा कि बेटियों के प्रति समाज की सोच बदली है, लेकिन अब भी लिंगभेद […]

धनबाद : प्रभात खबर की ओर से धनसार के अशोक नगर िस्थत राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में शुक्रवार को बचपन बचाओ अभियान का आयोजन किया गया. इस दौरान विशेषज्ञों ने छात्राओं के विभिन्न सवालों के जवाब दिये. कार्यक्रम में छात्राओं ने कहा कि बेटियों के प्रति समाज की सोच बदली है, लेकिन अब भी लिंगभेद हो रहा है.

माता-पिता अब भी बेटियों को पढ़ने व खेलने के लिए पूरी तरह छूट नहीं देते, जैसे बेटों को देते हैं. भाई ट्यूशन पढ़ने के लिए दूर जा सकता है, लेकिन हमें ट्यूशन के लिए बाहर नहीं जाने दिया जाता. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद पीके राय मेमोरियल कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरएस यादव ने छात्राओं की समस्याएं सुनी और तनाव कम करने के लिए कई टिप्स दिये. कहा कि स्त्रियों का मस्तिष्क कई मामलों में दोगुणा क्षमता वाला होता है. हीन भावना से कभी ग्रसित नहीं होना चाहिए. किसी भी तरह तनाव होने पर मित्रों, परिजनों से बातचीत जरूर करें. खुद पर भरोसा रखें. कार्यक्रम में विषय प्रवेश प्रभात खबर के मुख्य संवाददाता संजीव झा ने कराया. प्रभात खबर ने अभिभावकों से भी अपील है कि वे अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करें.

अभिभावकों से खुलकर अपनी बातें शेयर करें : प्रो यादव

प्रो. आरएस यादव ने कहा कि बचपन जीवन की पहली सीढ़ी व नींव होती है. इसको संगठित व सुसज्जित करने में अभिभावक व समाज की अहम भूमिका होती है. शिक्षा खुद को एवं वातावरण को जानना और उस वातावरण में अपनी स्थिति को जानना है. हमारे व्यक्तित्व विकास में कई पहलू हैं और कुछ भी अलग हो जाये तो तनाव का सामना करना पड़ता है. इसलिए आप अपने अभिभावक, परिवार के सदस्य या जिन्हें आप बेहतर समझें उनसे अपनी बात खुल कर शेयर करें और उसका समाधान निकालें.

बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाएं : प्राचार्य

राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य राजेश कुमार सिंह ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बचपन अपने आप में एक अजूबा है और स्वतंत्र विचार से जुड़ा है. हम बचपन का मतलब खेलना, खाना समझते हैं, लेकिन आज की परिस्थिति में दबाव बनता है. कुछ चीजों के कारण बच्चे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. प्रभात खबर का यह अभियान सराहनीय है. कहा कि बचपन को बचपन ही रहने दें, अनावश्यक दबाव न डालें. इस तरह के कार्यक्रम में काउंसेलिंग से बच्चों को उत्तर मिले तो नये रास्ते खुल जाते हैं.

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