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15 साल पहले धनबाद ने ही बताया था कि आम नहीं खास हूं : कल्पना

धनबाद: हिंदी सहित 18 से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में गाना गा चुकी कल्पना पटवारी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. फोक व प्लेबैक सिंगर के रूप में दुनिया भर में पहचान रखने वाली कल्पना ने अपना पहला शो धनबाद में किया था. शुक्रवार को प्रभात खबर से बातचीत में कल्पना ने कहा : वर्ष 2003 […]

धनबाद: हिंदी सहित 18 से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में गाना गा चुकी कल्पना पटवारी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. फोक व प्लेबैक सिंगर के रूप में दुनिया भर में पहचान रखने वाली कल्पना ने अपना पहला शो धनबाद में किया था. शुक्रवार को प्रभात खबर से बातचीत में कल्पना ने कहा : वर्ष 2003 में पहली बार स्टेज शो किया था. 15 साल पहले वह जगह बिहार नहीं, बल्कि धनबाद का न्यू टाउन हॉल था. पहली बार भोजपुरी गाने के लिए मैं धनबाद आयी थी और यहां के लोगों ने मुझे खूब प्यार दिया.

जब मैं निकलने लगी तो लोग मेरी गाड़ी के पास आकर खड़े हो गये. तब मुझे पता चला कि यह कल्पना अब आम नहीं रही. अपने श्रोताओं के प्यार ने मुझे खास बना दिया. उसके बाद भी मैं कई बार धनबाद आयी और यहां के लोगों का भरपूर प्यार मिला. मेरे साथ काम करने वाले अधिकतर म्यूजिशियन धनबाद के हैं, और उनका साथ मुझे शुरू से मिलता रहा है. वह प्रभात खबर के कार्यक्रम में शिरकत करने धनबाद आयी हुई हैं.

बेगमजान में गाया है गाना : शुक्रवार को फिल्म बेगम जान रिलीज हुई है. इसमें मैंने ‘ओरे कहारों, डोली उठाओ’ गाना गाया है. जो बहुत लोगों ने यू ट्यूब से लेकर अन्य माध्यम से सुना है.

भोजपुरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया : भोजपुरी की रानी कही जाने वाली कल्पना कहती हैं : शुरुआती दौर में मुझे भोजपुरी की डबल मीनिंग समझ में नहीं आती थी. लेकिन धीरे-धीरे आने लगी. जिस तरह बिहार में शराब बंद हुई उसी तरह भोजपुरी फूहड़ गानों का बंद होना भी जरूरी है. लेकिन कई अच्छे गाने भी हैं. कल्पना ने बताया कि वह भोजपुरी गाने को वह अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले गयी है. उन्होंने बताया कि 2015 में अंतरराष्ट्रीय चैनल एमटीवी कूक स्टूडियो गयी और वहां पर भोजपुरी गाने गाये जो देश-विदेश में प्रसारित किये गये. उनका प्रयास है कि भोजपुरी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले.

मैंने महसूस किया गांधी के चंपारण को : कल्पना ने बताया कि पूरा देश चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में कई तरह के आयोजन कर रहा है. मैं भी इसी को लेकर चंपारण गयी. वहां की स्थिति देखी. कस्तूरबा गांधी स्कूल की स्थिति बहुत खराब थी और वहां के बच्चों ने बताया कि यदि यह स्कूल सरकारी हो जाता तो अच्छा होता और सुविधाएं बढ़ती. इन सभी को लेकर कल्पना ने पूरे दृश्य के साथ एक गाना गाया, जिसे आम लोगों ने काफी सराहा.

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