धनबाद : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम सत्य प्रकाश की अदालत ने शनिवार को दहेज हत्या के एक मामले में बिलबेड़ा निवासी मुजीब खान (पति) को भादवि की धारा 304 बी में दोषी पाकर दस वर्ष सश्रम कैद की सजा सुनायी. जबकि मुसीब खान, मोईन खान व रेहाना खातून को संदेह का लाभ देते […]
धनबाद : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम सत्य प्रकाश की अदालत ने शनिवार को दहेज हत्या के एक मामले में बिलबेड़ा निवासी मुजीब खान (पति) को भादवि की धारा 304 बी में दोषी पाकर दस वर्ष सश्रम कैद की सजा सुनायी. जबकि मुसीब खान, मोईन खान व रेहाना खातून को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया.
फैसला सुनाये जाने के वक्त अपर लोक अभियोजक बटेश्वर झा भी अदालत में मौजूद थे. 14 जून 2004 को सुलताना खानम की शादी मुनीर खान के पुत्र मुजीब खान के साथ मुसलिम रीति रिवाज से हुई थी. शादी के बाद वह अपने ससुराल गयी. वहां उसके ससुरालवाले दहेज के रूप में बीस हजार रुपये की मांग करने लगे. शादी के तीन माह के अंदर ही उसके पति ने उसे जला कर मार डाला. उसकी मौत 27 अक्तूबर 04 को हो गयी. घटना के बाद बाघमारा (मधुबन) थाना मं कांड संख्या 324/04 दर्ज किया गया.
घूसखोरी में पीओ को तीन वर्ष की कैद : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अष्टम संजय कुमार नंबर-1 की अदालत ने शनिवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में बीसीसीएल के चांच विक्टोरिया क्षेत्र के दहीबाड़ी ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट के पूर्व प्रोजेक्ट ऑफिसर तपन चक्रवर्ती को पीसी एक्ट की धारा में दोषी पाकर तीन वर्ष की कैद व चालीस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. बाद में अदालत ने सजायाफ्ता को झारखंड उच्च न्यायालय में क्रिमिनल अपील याचिका दायर करने के लिए अंशकालिक जमानत दे दी. 13 मई 2010 को सीबीआइ की टीम ने जाल बिछा कर प्रोजेक्ट ऑफिसर चक्रवर्ती को रिश्तवत लेते पकड़ा था. वह डीओ धारक हसमुख भट्ट के कर्मी से पांच हजार रुपये रिश्वत ले रहे थे.
लोक अदालत में 132 मामलों का निपटारा : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश अंबुज नाथ के निर्देश पर शनिवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में लोक अदालत लगायी गयी. इसमें तेरह बेंच लगा कर बीएसएनएल, विद्युत, बैंक लोन, रेलवे, वन, एमडब्ल्यू, पीडब्ल्यू, एनआइ एक्ट, श्रम, कंपाउडेवल क्रिमिनल केस से संबंधित 132 वादों का निस्तारण कर 39 लाख 43 हजार 409 रुपये की वसूली की गयी. मौके पर श्रम न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी आरके जुमनानी, कुटुंब न्यायाधीश राम शर्मा, अपर जिला व सत्र न्यायाधीश पीयूष कुमार, गुलाम हैदर, एसडी त्रिपाठी, अवर न्यायाधीश एके दुबे, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कुमार पवन, न्यायिक दंडाधिकारी कुमार सौरव त्रिपाठी, विमल जॉसन करकेट्टा, ए श्रीवास्तव, मीस वीणा कुमारी, मोमिता गोयीन, एके गुड़िया, ऋतू कुजूर, श्रीमती एसवी उपाध्याय, रेलवे मजिस्ट्रेट मो उमर ने डालसा के पैनल अधिवक्ताओं व विभागीय लोगों के सहयोग से वादों का निष्पादन किया. डालसा कार्यालय सहायक मनोज कुमार ने भी सहयोग किया.