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री-एडमिशन के नाम पर करोड़ों की उगाही

धनबाद: जिले के सीबीएसइ एवं आइसीएसइ के स्कूलों में हर साल री-एडमिशन के नाम पर करोड़ों रुपये की वसूली होती है. अभिभावकों को एक मोटी रकम अपने बच्चे की पढ़ाई जारी रखने के लिए चुकानी पड़ती है. सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद स्कूल कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इसका असर उन परिवारों […]

धनबाद: जिले के सीबीएसइ एवं आइसीएसइ के स्कूलों में हर साल री-एडमिशन के नाम पर करोड़ों रुपये की वसूली होती है. अभिभावकों को एक मोटी रकम अपने बच्चे की पढ़ाई जारी रखने के लिए चुकानी पड़ती है. सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद स्कूल कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इसका असर उन परिवारों पर अधिक होता है, जिनकी आय कम होती है या परिवार के एक से अधिक बच्चे स्कूल जाते हैं.

पहले से अभिभावक स्कूल ड्रेस, पुस्तक, स्कूल फीस, स्कूल बस फीस के बोझ तले दबे रहते हैं, बावजूद इसके उन पर एक नया और भारी भरकम बोझ डाल दिया जाता है. स्कूल प्रबंधन यह शुल्क लेने के लिए री-एडमिशन की अन्य तरह की फीस लिख कर पूरा चिट्ठा अभिभावकों को थमा देते हैं. जिले में लगभग 53 सीबीएसइ व आइसीएसइ के स्कूल हैं, जहां कुल छात्रों की संख्या एक लाख से भी अधिक है. हर स्कूल चार से लेकर 12 हजार रुपये तक हर छात्र पर वसूली करता है, जो करोड़ों में होगा.

11 वीं में होता है न्यू एडमिशन : 12वीं कक्षा तक संचालित होने वाले स्कूलों में 10वीं कक्षा के बाद संबंधित बच्चे के अभिभावक को न्यू एडमिशन कराना होता है. इसमें स्कूल के अपने छात्र से भी गैर स्कूल के छात्र की तरह एडमिशन होता है. चूंकि दसवीं बोर्ड परीक्षा नजदीक आ गयी है, इसलिए 11 वीं कक्षा में एडमिशन के लिए अभिभावकों की धड़कने अभी से बढ़ गयी है.

डीइओ का आदेश : मामले में 23 मई 2012 को तत्कालीन डीइओ पॉलीकॉर्प तिर्की ने सभी सीबीएसइ व आइसीएसइ स्कूलों के प्रिंसिपलों को पत्रंक 898 लिखा था. कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का अनुपालन हर हाल में करना है. अगर किसी भी स्कूल प्रबंधन द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.

गुरु गोविंद सिंह पब्लिक स्कूल, बैंकमोड़ में एक मामले में एक अभिभावक को न्याय मिला था. वर्ष 2013 में छात्र गुरप्रीत सिंह दसवीं कक्षा के सभी विषयों में उत्तीर्ण थे और वहीं पढ़ाई जारी रखना चाहते थे. लेकिन स्कूल प्रबंधन ने 11 वीं कक्षा में फिर से एडमिशन कराने को कहा और उसके लिए लगभग नौ हजार रुपये अतिरिक्त मांगे. इसमें 7,500 रुपये एडमिशन व 1,500 रुपये कॉशन मनी के थे. इसके अलावा 400 रुपये एडमिशन फॉर्म के थे. पिता अवतार सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय व जेट के आदेश का हवाला देते हुए पढ़ाई जारी रखने की मांग की. तब जाकर स्कूल प्रबंधन ने एडमिशन फीस व कॉशन मनी नहीं लिये और 400 रुपये एडमिशन फॉर्म के भी वापस करते हुए छात्र गुरप्रीत की पढ़ाई जारी रखने की स्वीकृति दी.

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