तोपचांची: दोपहर बाद नक्सलियों के कब्जे से मुक्त हुए चारों कर्मी काफी डरे-सहमे थे. इस दौरान उन्होंने इस संवाददाता से बातचीत में कहा कि माओवादियों ने चालीस घंटे तक जंगलों में छिपा कर रखा था.
उन लोगों को क्यों बंधक बना कर रखा गया है, इस बाबत पूछे जाने पर वे कहते कि काम हो जाने पर छोड़ देंगे. पंचायत सेवक मो मकसूद, रोजगार सेवक शंभु पांडेय, जनसेवक चंद्र देव ने बताया कि पिछले तीन दिनों तक सभी को जंगल में रखा गया. वहां खाने, ठंड से बचने आदि की पूरी व्यवस्था थी.
नक्सली व्यवस्था के खिलाफ बातें करते थे. उनका कहना था कि सरकार जिस भवन या विद्यालय में पुलिस को ठहरायेगी, उसे वे ध्वस्त कर देंगे. इसका उदाहरण नोकनिया में दिखा़ उनका कहना था कि सरकार स्कूल भवन पर पिकेट बना छह करोड़ रुपये खर्च करती है. क्यों नहीं शिक्षा और स्वास्थ्य एवं पेंशन योजनाओं पर इतना खर्च किया जाता है. गांवों में पिकेट बना कर विकास नहीं किया जा सकता है. विकास के लिए पुलिस पर की जाने वाली राशि को गांवों में खर्च किया जाना चाहिये.
रिहाई के बाद खिलायी मिठाई
शंभु पांडेय ने बताया कि सिमराढाब की दुधिया माटी गोलाई के समीप विस्फोट होते ही माओवादियों ने सभी को छोड़ दिया. इस दौरान उन्होंने जश्न भी मनाया. रिहा करते समय उन लोगों को मिठाइयां भी खिलायी. साथ ही, यह कहा कि उनका काम हो गया है. सभी चारों लोगों की आंखों पर पट्टी बांध कर लगभग दो किमी पहाड़ों में चलाया गया. इसके बाद छोड़ दिया गया. पट्टी खोलने पर खुद को जंगल में पाये. वहां से लगभग तीन घंटे पैदल चल ढोलकट्टा नाला के सामने उतर कर राजाबांध कल्याणपुर पहुंचे. फिर मीडिया वालों की मदद से उपायुक्त गिरिडीह को सूचना दी गयी. उपायुक्त के आदेश पर डुमरी के बीडीओ कुंदन कुमार एवं सीओ मनोज कुमार जीटी रोड स्थित सतकीरा मोड़ आये और चारों को अपने साथ ले गय़े