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बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन के निर्माण पर हावी भूमि की राजनीति

धनबाद. धनबाद जिले की बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन के निर्माण की योजना पर भूमि की राजनीति हावी हो गयी है. इस मद में राशि आवंटित व भूमि का हस्तांतरण हुए दस साल हो गये, लेकिन संबंधित भूमि पर अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है. भाजयुमो के तत्कालीन जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार पांडेय […]

धनबाद. धनबाद जिले की बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन के निर्माण की योजना पर भूमि की राजनीति हावी हो गयी है. इस मद में राशि आवंटित व भूमि का हस्तांतरण हुए दस साल हो गये, लेकिन संबंधित भूमि पर अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है. भाजयुमो के तत्कालीन जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार पांडेय की पहल पर जब राज्य सरकार ने इस बारे में छानबीन करनी शुरू की तो आइएसएम प्रबंधन ने इसी भूमि को लेकर एक नयी विवाद छेड़ कर इसे रोकवा दिया है.

बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन का क्या है उद्देश्य : विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी प्रतियोगिता परीक्षा सहित अन्य जरूरी परीक्षा का बोझ क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों पर न पड़े, इस लिहाजन राज्य सरकार के मानव संसाधन विभाग ने 2003-04 में एक योजना तैयार किया था. इसके तहत कई जिलों में एक-एक बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन का निर्माण कराना था. इसी योजना के तहत धनबाद में भी बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन का निर्माण के लिए सरकारी से स्वीकृति मिली थी. धनबाद में इस भवन को बनवाने तथा उसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेवारी पीके राय कॉलेज को दी गयी है.

2006 में राशि का आवंटन : वर्ष 2006 में प्राक्कलित राशि के आधार पर सरकार ने इसके लिए 1 करोड़ 25 लाख रुपये के आवंटन को स्वीकृति दी. इसमें 62 लाख 50,000 रुपया प्रथम किस्त की राशि देय की स्वीकृति प्रदान की गयी, लेकिन संबंधित राशि पीके राय प्रबंधन को 2009 में तब मिली जब भवन निर्माण की प्राक्कलित राशि बढ़ गयी.

क्यों नहीं हुआ भवन निर्माण : परीक्षा भवन निर्माण को लेकर पीके राय कॉलेज प्रबंधन की परेशानी यह थी कि वह राशि कहां खर्च करे. सरकार ने इसके लिए जो भूमि उसे हस्तांतरित किया है, उस पर उसे दखल मिलने में ही छह साल गुजर गया. विलंब के लिए पीके राय प्रबंधन अंचलाधिकारी कार्यालय को तथा अंचलाधिकारी कार्यालय पीके राय प्रबंधन को जिम्मेवार ठहराते रहे.

2007 में भूमि हस्तांतरण की स्वीकृति : पीके राय कॉलेज प्रबंधन की मांग पर उक्त भवन निर्माण के लिए हीरापुर मौजा में खाता नंबर 142 प्लॉट नंबर 13(8) के तहत 71 डिसमिल भूमि भी हस्तांतरण की स्वीकृति भी राजस्व व भूमि सूधार विभाग द्वारा 2007 में दे दी गयी, लेकिन उस पर दखल दिलाने में धनबाद अंचल कार्यालय को छह साल लग गये. 2013 में भूमि पर पीके राय को कब्जा मिला. उसके बाद उसने संबंधित भूमि पर पीके राय कॉलेज प्रबंधन बोर्ड लगवा दिया तथा निर्माण कार्य की तैयारी शुरू कर दी.

आइएसएम हुआ सक्रिय : बोर्ड लगाने के बाद जब चहारदीवारी निर्माण को लेकर पीके राय ने झाड़ियों की साफ-सफाई करानी शुरू की तो आइएसएम प्रबंधन ने भूमि केशर हिंद की है, उस पर पीके राय का कब्जा गलत है, कह कर दावा ठोक दिया. मामले में दोनों प्रबंधन का विवाद थाना तक जा पहुंचा. फिर मामला जिला प्रशासन के पास पहुंचा. हालांकि उक्त भूमि पर अपनी दावेदारी का कोई ठोस प्रमाण आइएसएम प्रबंधन अब तक नहीं दे सका है. आइएसएम प्रबंधन उक्त भूमि पर मॉल या पार्क निर्माण कराना चाहता है.

मामला उच्च व तकनीकी शिक्षा सचिव के पास

सबूत के अभाव में आइएसएम का दावा खोखला देख जब जिला प्रशासन ने पीके राय कॉलेज प्रबंधन को निर्माण के लिए हरी झंडी दे दी. इधर पीके राय प्रबंधन का भूमि पर चहारदीवारी निर्माण के लिए आगे बढ़ते देख आइएसएम ने उच्च व तकनीकी शिक्षा सचिव को पकड़ लिया है. सचिव ने दोनों पक्ष को बुलाकर मामला अपने विभाग के विचाराधीन ले लिया है.

हो रहा पढ़ाई का नुकसान, छात्र कर रहे विरोध

अब जनता जानना चाहती है उक्त भूमि पर क्या होना जरूरी है. सरकार की स्कीम के अनुसार परीक्षा भवन का निर्माण या आइएसएम का मॉल या पार्क. अब फलाफल चाहे जो भी निकले, लेकिन दस साल से शैक्षणिक हित की बहूद्देश्यीय परीक्षा भवन की सरकारी योजना धनबाद में ठंडे बस्ते में पड़ी है. परीक्षाआें को लेकर कॉलेजों में बच्चों की पढ़ाई पिछड़ रही है. विरोध मेें छात्र कुलपति का पुतला फूंक कर विरोध जता रहे हैं.

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