मोदी सरकार की उपलब्धि बताने में मशगूल भाजपाई, विपक्ष मौन
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न बिजली न पानी, भाजपा का यह कैसा विकास पर्व!
मोदी सरकार की उपलब्धि बताने में मशगूल भाजपाई, विपक्ष मौन केंद्र में मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा 14 जून को धनबाद में विकास पर्व मनाने जा रही है. इसको ले कर भारी भरकम तैयारी है. दो केंद्रीय मंत्री सहित भाजपा के कई बड़े नेता इस समारोह में शिरकत करेंगे. […]
केंद्र में मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा 14 जून को धनबाद में विकास पर्व मनाने जा रही है. इसको ले कर भारी भरकम तैयारी है. दो केंद्रीय मंत्री सहित भाजपा के कई बड़े नेता इस समारोह में शिरकत करेंगे. शहर में होर्डिंग, बैनर की बाढ़ आ गयी है. लेकिन पानी, बिजली के लिए तड़प रही धनबाद की जनता विकास पर्व को ले कर पशोपेश में है. अच्छे दिन की आस लगाये आखिर यहां के लोग विकास पर्व का कैसे हिस्सा बने.
धनबाद : मैथन डैम, जहां से धनबाद शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति होती है, लगभग सूख गया है. एक जून से धनबाद में नियमित जलापूर्ति नहीं हो रही. लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. पीने के साथ-साथ अन्य नित्य कर्म के लिए भी पानी नसीब नहीं हो रहा. अधिकांश तालाब भी सूख चुके हैं. टैंकर से भी नाम मात्र की ही जलापूर्ति हो रही है. ऐसे में लोगों के पास इस भीषण उमस भरी गरमी में कौआ स्नान से संतोष करना पड़ रहा है. पानी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं हो पायी.
तोपचांची झील भी सूखी: धनबाद जिले के कतरास इलाका में भी इस वर्ष भीषण जल संकट व्याप्त है. वजह तोपचांची झील जहां से कतरास एवं आस-पास के इलाकों में जलापूर्ति होती है लगभग सूख गयी है. दो वर्षों से तोपचांची झील की सफाई की बात हो रही है. गाद निकालने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं हुईं. अभी नगर निगम द्वारा तोपचांची झील की सफाई के लिए टेंडर किया गया है. टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने तक मॉनसून ब्रेक कर सकता है. फिर तोपचांची झील की उड़ाही का काम अधूरा रह जायेगा. अच्छी बारिश हुई भी तब भी तोपचांची झील में गाद की वजह से पानी बहुत स्टोर नहीं हो पायेगा.
होती रही बैठकें, फेंका-फेंकी करते रहे अधिकारी: इस वर्ष मार्च से ही जल संकट की संभावना बढ़ी हुई थी. जल संकट को ले कर डीसी से ले कर नगर आयुक्त तक बैठक करते रहे. निर्देश दिया जाता रहा. लेकिन, हकीकत में कुछ नहीं हुआ. जिम्मेदारी फेंकने में ही अधिकारी लगे रहे. वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में जामाडोबा से धनबाद तक पानी लाने की योजना भी संचिका में ही फंसी रही. जामाडोबा में पर्याप्त पानी है. पुरानी व्यवस्था चालू हो जाती तो धनबाद शहर की प्यास बहुत हद तक बुझ सकती थी.
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