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एंसर कॉपियों की जांच से तय होगा स्कूल का ग्रेड

धनबाद: अब शिक्षकों के पीछे विद्यार्थी को भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही अच्छे मार्क्‍स के लिए शिक्षकों से ट्यूशन पढ़ना होगा. अब विद्यार्थी सिर्फपरीक्षा की तैयारी करें और मेहनत से अच्छा मार्क्‍स लाने की कोशिश करें. अब सीबीएसइ ने स्कूल की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आंसर कॉपी इवैल्यूशन सिस्टम की […]

धनबाद: अब शिक्षकों के पीछे विद्यार्थी को भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही अच्छे मार्क्‍स के लिए शिक्षकों से ट्यूशन पढ़ना होगा. अब विद्यार्थी सिर्फपरीक्षा की तैयारी करें और मेहनत से अच्छा मार्क्‍स लाने की कोशिश करें. अब सीबीएसइ ने स्कूल की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आंसर कॉपी इवैल्यूशन सिस्टम की शुरु आत की है. इस सिस्टम के तहत हर स्कूल को एसए-वन और एसए-टू एग्जाम के बाद 15 कॉपी सीबीएसइ को भेजनी होगी. यह सिस्टम क्लास 9वीं और क्लास 10वीं के लिए लागू होगा.

हर स्कूल से आयेंगी कॉपियां
पिछले साल घोषित हुआ यह सिस्टम सितंबर में हुए एसए-वन के एसेसमेंट एग्जाम में लागू कर दिया गया है. सीबीएसइ के निर्देशानुसार हर स्कूल ने 15 कॉपी सीबीएसइ के पास भेजी है. इसमें पांच कॉपी स्कूल के टॉप ग्रेड की लिस्ट में आने वाले विद्यार्थी, पांच कॉपी मीडिल लेवल ग्रेड के विद्यार्थी तथा पांच कॉपी लोअर ग्रेड पाने वाले विद्यार्थी की होगी. इन कॉपियों की जांच एक्सपर्ट से करायी जायेगी.

गलत इवैल्यूशन पर लगेगी रोक
इस जांच के पीछे बोर्ड का मकसद गलत इवैल्यूशन और गलत ग्रेडिंग को रोकना है. अगर टीचर्स द्वारा जांची गयी आंसर कॉपी में एक्सपर्ट को गलत मार्किग लगेगी तो यह रिपोर्ट एक्सपर्ट द्वारा बोर्ड को भेजी जायेगी. यह सारा कुछ इंटर्नल होगा. एसेसमेंट की रिपोर्ट बोर्ड वेबसाइट पर डाली जायेगी. वेबसाइट पर रिपोर्ट डालने के बाद स्टूडेंट इसका अवलोकन कर पायेंगे.

तैयार किया गया एक्सपर्ट पैनल
सीबीएसइ ने अपने हर रीजनल ऑफिस में सब्जेक्ट के अनुसार एक्सपर्ट का पैनल तैयार किया है. यह पैनल ही कॉपी की जांच करेगा. स्कूल द्वारा जांची गयी कॉपी की इस पैनल से जांच करायी जायेगी. पहले हर रीजनल ऑफिस में नोडल सेंटर बनाया गया. एक नोडल सेंटर के अंदर 15 स्कूल रहेंगे. हर स्कूल को अपने नोडल सेंटर पर कॉपी जमा करने को कहा गया है. हर सेंटर पर एक्सपर्ट की टीम भी अलग-अलग थी.

कॉपी सीबीएसइ की मरजी पर
किस स्कूल से कौन से सब्जेक्ट की कॉपी चाहिए, यह सीबीएसइ तय करता है. एक स्कूल से जिस सब्जेक्ट की लिस्ट सीबीएसइ ने मांगी है. उसी सब्जेक्ट के 15 कॉपी स्कूल को उपलब्ध कराना था. जब से सीबीएसइ में बोर्ड खत्म कर स्कूल बेस्ड बोर्ड की शुरु आत हुई, उसके बाद स्कूल में टीचर्स मनमानी करने लगे. टीचर्स के हाथ में मार्किंग सिस्टम आने से कुछ टीचर्स इसका फायदा भी उठाने लगे. टीचर्स की मनमानी का असर विद्यार्थी पर पड़ने लगा. टीचर्स की ओर से ट्यूशन पढ़ने, टीचर के घर काम करने जैसी चीजें विद्यार्थी के ऊपर मार्क्‍स को लेकर दबाव डालने लगी. जब इसकी शिकायत सीबीएसइ के पास पहुंचने लगे तो बोर्ड की ओर से यह सिस्टम शुरू किया गया है.

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