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पर्यटकों को आकर्षित करता है लिलौरी मंदिर

कतरास: नववर्ष के आगमन के साथ ही घूमने-फिरने का दौर शुरू हो जाता है. दूर जाने व लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाने के लिए दिल मचलने लगता है. युवा पीढ़ी नये साल का जश्न मनाने के लिए एक पखवारा से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. ऐसे में यदि पिकनिक के लिए तीर्थस्थल का चुनाव […]

कतरास: नववर्ष के आगमन के साथ ही घूमने-फिरने का दौर शुरू हो जाता है. दूर जाने व लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाने के लिए दिल मचलने लगता है. युवा पीढ़ी नये साल का जश्न मनाने के लिए एक पखवारा से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. ऐसे में यदि पिकनिक के लिए तीर्थस्थल का चुनाव हो, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है. जिला मुख्यालय से करीब 20-22 किलोमीटर की दूरी पर कतरास-राजगंज मार्ग पर स्थित लिलौरी मंदिर झारखंड ही नहीं, दूसरे प्रांत के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. कतरी नदी के तट पर स्थापित मंदिर चारों ओर से जंगल से घिरा है. इसलिए यहां पिकनिक मनाने के लिए सैलानियों की भीड़ जुटती है. वैसे तो यहां 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक यहां लोग पिकनिक मनाते हैं, पर एक जनवरी को अधिक भीड़ रहती है.

सड़क मार्ग सुविधाजनक
मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे उत्तम है. धनबाद से सीधे हीरक पथ से यहां पहुंच सकते हैं. रेल मार्ग के जरिये कतरासगढ़ स्टेशन से टेंपो से मंदिर पहुंचा जा सकता है. मंदिर के पास निचितपुर हॉल्ट भी है.

बंगाल से भी पहुंचते हैं लोग
एक जनवरी को यहां पिकनिक मनाने के लिए बंगाल के पर्यटकों की अच्छी-खासी तादाद रहती है. आसनसोल, वर्धवान, बराकर, पुरुलिया आदि जिलों के पर्यटक बस व निजी वाहनों से मंदिर पहुंचते हैं. पड़ोसी जिला बोकारो, गिरिडीह, जामताड़ा से भी काफी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं.

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