धनबाद: पेयजल संकट से निबटने की दिशा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो रही है. इसे आइएसएम ने सच साबित कर दिखाया है. संस्थान की ओर से शुरू किये गये इस महत्वाकांक्षी परियोजना के नतीजे भी बेहतर हैं. केंद्रीय भू-जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने इसके लिए पीठ भी थपथपायी है. संस्थान की ओर से आइएसएम को प्रशंसा पत्र(लेटर ऑफ एप्रिशिएशन) भी जारी किया गया है.
होस्टल की छतों का इस्तेमाल
प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर प्रो. बीसी सरकार के लिए यह एक तरह से ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके नतीजे भी बेहतर है. बारिश का पानी यूं ही बरबाद करने से कोई फायदा नहीं है. इसके संग्रहण से जल स्तर में इजाफा हो सकता है. वे बताते हैं- हमने जब इसकी शुरुआत की थी तो नतीजे को लेकर थोड़े सशंकित थे, लेकिन जब रिजल्ट आया तो बेहद खुशी हुई. बारिश का पानी जमा करने के लिए होस्टल तथा कैंपस के अन्य भवनों के छत का इस्तेमाल किया गया.
दो रिचार्ज पिट बनाये गये
इसके लिए दो स्पेशल रिचार्ज पिट बनाये गये. 1.74 लाख के खर्च से बनी है. इनमें से एक का आकार 1.80 मीटर गुणा 1.20 मीटर गुणा 1.20 मीटर है, जबकि दूसरे का 9.00 गुणा 3.00 मीटर गुणा 3.00 मीटर है. पिट सीधे अंडरग्राउंड एक्वाफर से कनेक्टेड हैं. इसके अंदर एक 100 एमएम व्यास का एक बोर भी किया गया है. आइएसएम में कुल 54 रिचार्ज पिट बनने हैं. रिचार्ज पिट का काम अगस्त में ही पूरा कर लिया गया है.
क्या फायदा होगा
डॉ सरकार के अनुसार एक छत से 2783 क्यूबिक मीटर पानी की हार्वेस्टिंग हो सकेगी. डॉ सरकार के अनुसार आइएसएम कैंपस की जियोलॉजिकल संरचना में ज्यादातर इग्नीयस व मेटामार्फिक रॉक हैं. यह छोटानागपुर का हिस्सा है. इस तरह की संरचना में भू-जल स्नेत की संभावना काफी कम रहती है. इसलिए यहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग काफी कारगर होगा.