दिविर तिवारी ने बताया कि संस्थान से पासआउट होने के बाद उन्होंने फ्लिप टू नो टेक्नोलॉजी के नाम से अपनी कंपनी खोल दी. कंपनी से हुए व्यवसाय के बल पर अब हमारी कंपनी ने फिल्ड असिस्ट के नाम से एक नयी टेक्नोलॉजी डेवलप की है. इसके प्रयोग से अब बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी बिजनेस डाटा सुरक्षित ढंग से अपने कोड के अंदर रख कर उसका उपयोग बिजनेस में कर सकेंगी. वर्तमान में इस कार्य के लिए कंपनियों को हिसाब- किताब के लिए कई कर्मी रखने पड़ते थे. साथ ही डाटा के लिए लैपटॉप साथ लेकर घूमना पड़ता है. इस नयी टेक्नोलॉजी के जरिये न केवल कर्मियों का खर्च घट जायेगा, बल्कि व्यवसायी मोबाइल के जरिये सिर्फ कोडिंग के आधार पर कहीं भी काम कर सकेंगे. दिविर तिवारी ने बताया कि फ्लिप टू नो टेक्नोलॉजी भी इसी का छोटा प्रयोग था, जिसमें कंपनियों के छोटे मोटे हिसाब- किताब को हल करने की क्षमता थी. उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आपका डाटा काफी सुरक्षित रहता है, बिना डिकोड के इसका उपयोग असंभव है. कई बड़ी कंपनियां हमारी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही हैं. धड़ल्ले से आ रही डिमांड के जरिये व्यवसाय बढ़ रहा है.
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डिजिटल इंडिया को साकार कर रहे आइएसएम छात्र
धनबाद: रिसर्च के बल पर आइएसएम के स्टूडेंट्स बिजनेस के क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को साकार कर रहे हैं. 2009-10 में माइनिंग से पासआउट दिविर तिवारी सहित अन्य कई स्टूडेंट्स ने संस्थान में अपने स्टडी काल के दौरान ही अपने रिसर्च के बल पर फ्लिप टू नो टेक्नोलॉजी के […]
धनबाद: रिसर्च के बल पर आइएसएम के स्टूडेंट्स बिजनेस के क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को साकार कर रहे हैं. 2009-10 में माइनिंग से पासआउट दिविर तिवारी सहित अन्य कई स्टूडेंट्स ने संस्थान में अपने स्टडी काल के दौरान ही अपने रिसर्च के बल पर फ्लिप टू नो टेक्नोलॉजी के जरिये अपना अनूठा प्रयोग का प्रदर्शन कर देश के तकनीकी संस्थानों की स्पर्धा में काफी वाहवाही बटोरी थी. उनके साथ इस अन्वेषण में मैकेनिकल के अपूर्व गुप्ता, पीयूष रंजन तथा ऋतुराज भी शामिल थे. संस्थान से निकलने के बाद भी उक्त स्टूडेंट्स ने अपने अन्वेषण जारी रखे.
दिविर तिवारी ने बताया कि संस्थान से पासआउट होने के बाद उन्होंने फ्लिप टू नो टेक्नोलॉजी के नाम से अपनी कंपनी खोल दी. कंपनी से हुए व्यवसाय के बल पर अब हमारी कंपनी ने फिल्ड असिस्ट के नाम से एक नयी टेक्नोलॉजी डेवलप की है. इसके प्रयोग से अब बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी बिजनेस डाटा सुरक्षित ढंग से अपने कोड के अंदर रख कर उसका उपयोग बिजनेस में कर सकेंगी. वर्तमान में इस कार्य के लिए कंपनियों को हिसाब- किताब के लिए कई कर्मी रखने पड़ते थे. साथ ही डाटा के लिए लैपटॉप साथ लेकर घूमना पड़ता है. इस नयी टेक्नोलॉजी के जरिये न केवल कर्मियों का खर्च घट जायेगा, बल्कि व्यवसायी मोबाइल के जरिये सिर्फ कोडिंग के आधार पर कहीं भी काम कर सकेंगे. दिविर तिवारी ने बताया कि फ्लिप टू नो टेक्नोलॉजी भी इसी का छोटा प्रयोग था, जिसमें कंपनियों के छोटे मोटे हिसाब- किताब को हल करने की क्षमता थी. उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आपका डाटा काफी सुरक्षित रहता है, बिना डिकोड के इसका उपयोग असंभव है. कई बड़ी कंपनियां हमारी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही हैं. धड़ल्ले से आ रही डिमांड के जरिये व्यवसाय बढ़ रहा है.
संस्थान ने अब खोला अन्वेषण के लिए नया केंद्र
संस्थान के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को अन्वेषण के मामले में हो रही परेशानी को ध्यान में रख कर 2014 में – सेंटर फॉर इनोवोशन इक्यूनेशन एंड इंटरप्रेनरशिप के नाम से एक सेंटर खोल दिया है. इसके जरिये अब संस्थान के स्टूडेंट्स ही नहीं बाहरी स्टूडेंट्स को भी रिसर्च वर्क में काफी सहुलियत हो गयी है. प्रो. एसके पॉल को इस सेंटर का एचओसी बनाया गया है. श्री पॉल ने बताया कि दिविर तिवारी जैसे संस्थान के छात्रों की मांग को ही ध्यान में रख कर इस नये सेंटर की जरूरत महसूस हुई.
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