धनबाद: उपायुक्त प्रशांत कुमार ने कहा है कि मनरेगा के मजदूरों को समय पर मजदूरी का भुगतान करना एक चुनौती है. आने वाले छह – सात महीने में नयी तकनीक के आधार पर सभी जगहों पर मजदूरों को समय पर भुगतान हो सकेगा.
वह मंगलवार को मनरेगा पर आधारित जिला स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पोस्ट ऑफिस और बैंक में कागजों की जांच में समय लगने के कारण भुगतान में देर हो रही है. अब मनरेगा के जॉब कार्डधारियों के खाता को आधार नंबर से जोड़ दिया जायेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स फंड मैनेजमंट सिस्टम ( इएफएमएस) के माध्यम से नाम और आधार नंबर लिख देने से ही सारे विवरण आ जायेंगे और उनके एकाउंट में जितने पैसे होंगे, उसमें से जितना चाहेंगे उसका भुगतान हो जायेगा. इससे समय की काफी बचत होगी. सबसे पहले गोविंदपुर, तोपचांची और बाघमारा में यह शुरू होगा. उसके बाद धीरे-धीरे सभी पंचायतों एवं प्रखंडों में इसे लागू किया जायेगा. राज्य सरकार मजदूरी बढ़ाने के लिए विचार कर रही है.
फर्जी जॉब कार्डधारियों के बारे में जांच पर कार्रवाई भी की जा चुकी है. मनरेगा लोकपाल डॉ काशी नाथ चटर्जी ने कहा कि मनरेगा दुनिया की सबसे बड़ी योजना है. इस योजना से गांवों में क्रय शक्ति बढ़ी है. उन्होंने कहा कि यह योजना 2006 में शुरू हुई और लाखों लोग इससे लाभान्वित हुए हैं.
इस योजना में अब तक कितने लोगों को रोजगार मिले और कितने की राशि खर्च हुई है इसका पूरा डाटा उन्होंने दिया. जिला योजना पदाधिकारी चंद्रभूषण तिवारी ने कहा कि इस योजना से पहले जहां सिर्फ मिट्टी- मोरम का काम होता था, वहीं अब इससे कई योजनाओं को जोड़ा गया है. शौचालय, मुर्गी और बकरी पालन के लिए शेड बनाने से लेकर वन विभाग की कई योजनाएं चलायी जा रही हे, आने वाले दिनों में और भी कई योजनाएं शुरू होने वाली है. मनरेगा के परियोजना पदाधिकारी प्रभात रंजन ने मंच का संचालन किया.