धनबाद: पांच वर्ष पूर्व जिले में बच्च चोर की अफवाह ने आम जनता के साथ-साथ शासन-प्रशासन तक की नींद हराम कर रखी थी. ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में किसी भी अनजान व्यक्ति को देख लोग उसे घेर लेते और तब तक पीटते, जब तक कि वह मर नहीं जाता या अधमरा नहीं हो जाता. उस समय कई निदरेष या तो मारे गये या गंभीरावस्था में अस्पताल में भरती कराये गये.
दबे-कुचले पर आफत के बादल मंडरा रहे थे. लोगों में बच्च चोर का खौफ इस कदर घर कर गया था कि कानून-व्यवस्था धता साबित हो रही थी. अंत में प्रशासन को इस बात की मुनादी करवाना पड़ी कि यह महज भ्रम है और कुछ नहीं. कोई बच्चा चोर नहीं है.
एकबार फिर बच्च चोर की अफवाह सिर उठा चुकी है. फेरीवालों, विक्षिप्त, किसी रिश्तेदार या कार्यवश यात्र करने वालों पर शामत आन पड़ी है. जिले के कई प्रखंडों के सुदूर क्षेत्रों व शहरी इलाकों से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें बच्च चोर के शक में निदरेष महिला-पुरुष को पीटा गया है. यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग शाम ढलते ही घरों में कैद हो जा रहे हैं.
अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए लोग ग्रुप बना कर रतजगा कर रहे हैं. लोग गांव में किसी अनजान व्यक्ति या वाहन को देख तुरंत सतर्क हो जा रहे हैं. कई जगह अभिभावकों ने अपने बच्चे को हाट-बाजार की कौन कहे, स्कूल भेजना बंद कर दिया है. कुछ जगह बच्चों को अभिभावक स्वयं स्कूल लेकर जा रहे हैं. मामले में जिला प्रशासन की भूमिक ा पर सवाल उठना लाजिमी है. उसने अफवाह फैलाने वाले तत्वों पर लगाम व रोक के लिए अभी तक कोई कड़ा निर्देश जारी नहीं किया है.