महालेखाकार की ऑडिट टीम ने इसका खुलासा किया है. ऑडिट टीम ने पूछा है कि किस आधार पर सिक्युरिटी मनी से अधिक रकम कंपनी को वाहन खरीदने के लिए भुगतान किया गया. ऑडिट ऑब्जेक्शन के बाद निगम में खलबली मच गयी है. बताते चलें कि ए-टू-जेड का मामला ऑर्बिटेशन में चल रहा है. सिक्युरिटी मनी जब्त करने के खिलाफ ए-टू-जेड ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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गाड़ियां लौटायी नहीं, दबा रखा है ढाई करोड़
धनबाद: ए-टू-जेड कंपनी का मामला फिर सुर्खियों में आ गया है. दो साल से निगम का 2.5 करोड़ रुपया ए टू जेड ने दबा रखा है. निगम को न तो गाड़ी लौटायी और न ही सामग्री. महालेखाकार की ऑडिट टीम ने इसका खुलासा किया है. ऑडिट टीम ने पूछा है कि किस आधार पर सिक्युरिटी […]
धनबाद: ए-टू-जेड कंपनी का मामला फिर सुर्खियों में आ गया है. दो साल से निगम का 2.5 करोड़ रुपया ए टू जेड ने दबा रखा है. निगम को न तो गाड़ी लौटायी और न ही सामग्री.
क्या है ऑडिट रिपोर्ट : ठोस कचरा प्रबंधन के लिए ए-टू-जेड कंपनी के साथ 16 फरवरी 2012 को एकरारनामा हुआ. निगम क्षेत्र में तीस वर्ष के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 55 करोड़ रुपये की परियोजना थी. 24 फरवरी 2012 को कंपनी की ओर से 22.5 करोड़ रुपया सिक्युरिटी मनी के रूप में जमा किया गया. 27 व 28 फरवरी 2013 को साफ-सफाई एवं कचरा प्रबंधन हेतु 4.75 करोड़ रुपये मूल्य का वाहन एवं सफाई उपकरण क्रय किया गया. यूनियन बैंक के चेक से नगर निगम द्वारा भुगतान किया गया. 26 जून 2014 को एकरारनामा रद्द कर दिया गया. एकरारनामा रद्द करने से पूर्व क्रय किये गये वाहन एवं संयंत्र ए-टू-जेड कंपनी से नहीं प्राप्त किया गया और न ही भुगतान किये गये 4.75 करोड़ रुपये कंपनी से अब तक वसूल किया गया. वाहन व संयंत्र का उपयोग केवल पंद्रह माह तक ही किया जा सका. जबकि परियोजना अवधि तीस वर्ष की थी. 4.75 करोड़ भुगतान राशि में से केवल 2.25 करोड़ रुपये सिक्युरिटी मनी के रूप में जमा राशि ही नगर निगम द्वारा वसूल किया जा सका. 2.5 करोड़ रुपया ए टू जेड के पास है.
ए-टू-जेड का 2.25 करोड़ रुपया सिक्युरिटी मनी जब्त कर लिया गया है. माननीय उच्च न्यायालय ने आर्बिटेटर नियुक्त किया है. वाहन व सामग्री का पैसा लेने का मामला आर्बिटेशन में चल रहा है.
विनोद शंकर सिंह, नगर आयुक्त
नगर निगम के पैसे का समान ए-टू-जेड के नाम से खरीदा गया है. ए-टू-जेड को इसमें 90 प्रतिशत सब्सिडी मिली. अगर निगम के नाम से सामान खरीदा जाता तो सब्सिडी निगम को मिलती. ए-टू-जेड ने जो मशीन दी है, वह भी पुरानी है. स्वीपर आधा घंटा चला और खड़ा हो गया. ए टू जेड ने अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से निगम को लूटा है.
चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर
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