धनबाद: दुनिया में हर चालीस सेकेंड पर एक व्यक्ति आत्महत्या करता है. आत्महत्या की प्रवृत्ति इस कदर बढ़ गयी है कि इसने युद्ध जन्य व हत्या से होनेवाली मौत के संयुक्त आंकड़े को पार कर लिया है यानी युद्ध और हत्या से जितनी मौतें नहीं होतीं, उससे कहीं अधिक आत्महत्याएं होती हैं. हर साल एक करोड़ लोग खुदकुशी से मरते हैं. इसका खुलासा गत दस सितंबर को आत्महत्या से बचाव का अंतर्राष्ट्रीय संघ (आइएएसपी)की ग्यारहवीं सालगिरह पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)द्वारा जारी प्रतिवेदन में किया गया है.
संस्था की ग्यारहवीं सालगिरह ‘कलंक : आत्महत्या से बचाव में प्रमुख बाधक’ पर केंद्रित थी. डब्ल्यूएचओ तथा रोग अकलन के हालिया बोझ के अनुसार आत्महत्या को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में चिह्न्ति किया जा रहा है. इस प्रतिवेदन में दुनिया में होनेवाली मौतों में आत्महत्या को एक प्रमुख कारण के रूप में चिह्न्ति किया गया है. प्रतिवेदन में कहा गया है कि अगले दो दशकों में कुल रोगी के 25 फीसदी मानसिक रोगी होंगे.
दुनिया की नामचीन हस्तियों में मनोविश्लेषण के जनक सिग्मंड फ्रॉयड (1939) ने मुंह के कैंसर से लाचार हो अंतत: खुदकुशी कर ली. इस विख्यात उदाहरण के अलावा कई ऐसे कई विख्यात व्यक्तियों की खुदकुशी उनकी अगली पीढ़ी में हस्तांतरित हुईं. रोग की ऐसी प्रवृत्ति जो पीढ़ी दर पीढ़ी अंतरित होती जाती है, इंडोफेनोटाइप कही जाती है. इस क्रम में खुदकुशी के विख्यात उदाहरण हैं : कार्ल मार्क्स की पुत्री लॉरा मार्क्स तथा दामाद पॉल लाफार्ज (अवकाश के सिद्धांत के जनक)ने 1911 में एक साथ आत्महत्या की थी.
अर्नेस्ट हैमिंग्वे (1961), पिता क्लैरेंस हैमिंग्वे (1928), बहन उर्सुला (1965)तथा भाई लिसेस्टर (1982), पोती अभिनेत्री मागरुअक्स (1996)
विख्यात अंगरेजी कवयित्री सिल्विया प्लाथ (1963) उसकी सौत आसिया वेविल (1969)व उनका पुत्र निकोलस हग्स (2009)