डॉ. बीएन पटनायक: हर साल देशभर में हजारों की संख्या में सड़क दुर्घटना में मौतें होती हैं. धनबाद जिले में सड़क दुर्घटना में मौत के अधिकांश मामले हेड इंज्यूरी के होते हैं. हेड इंज्यूरी का शिकार दोपहिया वाहनों के चालक व सवार वैसे लोग होते हैं, जो हेलमेट नहीं पहनते. झारखंड के विकसित जिलों जमशेदपुर, रांची, बोकारो की तुलना में दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट पहनने के मामले में सबसे ज्यादा लापरवाही धनबाद में ही देखने को मिलती है. सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डाटा के अनुसार 70 फीसदी दुर्घटनाएं ड्राइवर की गलती व लापरवाही से होती है. इसमें 90 फीसदी लोगों के पास ड्राइविंग की सामान्य जानकारी तक नहीं होती. वाहन चलाते वक्त दृष्टि-दोष से लेकर सुनने में गड़बड़ी तथा नियमों की अवहेलना भी मुख्य कारक होते हैं. सड़क-दुर्घटना के कारण प्रतिवर्ष भारत में 2500 करोड़ के राजस्व की हानि होती है जो सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी होता है. जो लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं, वे हमेशा कम समय में सामान्य से ज्यादा दूरी तय करने की फिराक में होते हैं. जल्दी पहुंचने की होड़ में शारीरिक और मानसिक संतुलन खो देते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. दूसरे वाहनों की तुलना में दोपहिया वाहनों से दुर्घटनाएं पांच गुणा ज्यादा होती हंै.
क्यों जरूरी है हेलमेट : पूरे शरीर में ब्रेन ही एक ऐसा अंग है जो खोपड़ी के अंदर सुरक्षित रहता है. हल्की-फुल्की दुर्घटना होने पर खोपड़ी की वजह से ब्रेन को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन जब कोई भयंकर दुर्घटना होती है तो खोपड़ी की हड्डी तेज बल या झटका को बरदाश्त नहीं कर पाती. खोपड़ी की मोटाई चाहे कितनी भी हो बल या झटका सहने की एक सीमा होती है. भयंकर दुर्घटना होने की स्थिति में खेापड़ी के अंदर स्थित ब्रेन के क्षतिग्रस्त होने की पूरी संभावना होती है. ऐसी स्थिति में हेलमेट से ब्रेन को काफी सुरक्षा मिलती है. कारण सीधे ब्रेन को चोट लगने से उसकी कोशिका स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसका रिपेयर संभव नहीं है. हेलमेट पहनने से 25 फीसदी मृत्युदर कम हो जाती है जबकि इसके न पहनने से 24 फीसदी आशंका बढ़ जाती है.
(लेखक सेंट्रल हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग में उपमुख्य चिकित्साधिकारी हैं. दीपक से बातचीत पर आधारित.)