धनबाद: मौसम बदलते ही सर्पदंश के मामले भी बढ़ने लगे हैं. पीएमसीएच में पिछले 10 दिनों में 20 ऐसे मामले आ चुके हैं. ये मामले अधिकतर ग्रामीण और कोलियरी क्षेत्रों के हैं. पीएमसीएच मेडिसिन विभाग के डॉ यूके ओझा के अनुसार गरमी के कारण सांप जमीन के अंदर व बिलों में चले जाते हैं, हल्की बारिश होने से कई तरह के कीट-पतंग बाहर आने लगते हैं. इन्हीं कीट-पतंगों को देख सांप बाहर आते हैं. वहीं बारिश होने के बाद या शाम को मौसम में ठंडक रहने के कारण भी सांप गरमी से राहत के लिए बाहर निकलते हैं.
ग्रामीण और कोलियरी इलाकों में ज्यादातर मामले: शनिवार को मुराइडीह के शेखर महतो को सांप ने डंस लिया. 29 मार्च को साबलपुर निवासी राजपति गोप की पत्नी बच्ची देवी (66) व न्यू दिल्ली धनसार निवासी भीम सिंह के पुत्र (18) को भी सांप ने डंस लिया था. बलियापुर, टुंडी, तोपचांची, गोविंदपुर आदि जगहों से ऐसे मामले लगातार आ रहे हैं.
स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं है दवा : पीएमसीएच में एंटी स्नेक वेनम (सर्पदंश की दवा) पर्याप्त मात्र में उपलब्ध हैं. कुछ निजी नर्सिग होम में भी दवा उपलब्ध है, लेकिन जिले के तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में फिलहाल एंटी स्नेक वेनम नहीं है. इस कारण टुंडी, तोपचांची, बलियापुर, निरसा आदि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश होने पर मरीजों की जान भगवान भरोसे रहती है. यदि सांप जहरीला नहीं हो तभी मरीज पीएमसीएच तक पहुंच पाता है, अगर जहरीला हुआ तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है. स्वास्थ्य केंद्रों में दवा हो तो जान बचायी जा सकती है.
ओझा गुणी के पास जाना खतरनाक: सर्पदंश के बाद ओझा-गुणी के पास जाना खतरनाक है. ऐसे मामलों में अधिकतर मौतें ओझा-गुणी के चक्कर में हो जाती हैं. सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाया जाये तो उसकी जान बचायी जा सकती है. अधिक देर होने पर सांप के जहर में पाये जाने वाला टॉक्सिन रक्त के साथ मिल कर पूरे शरीर में फैल जाता है और हृदय गति के साथ ही रक्त संचार भी बंद हो जाता है, जिससे मरीज की मौत हो जाती है.