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कड़े नियम से कई दवाएं बाजार से गायब

धनबाद: शिड्यूल एच वन के कड़े नियमों के कारण कई दवाएं बाजार से गायब हो गयी है. इनमें कुछ जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं. मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कहीं दवा ब्लैक में तो कहीं बिना कैशमेमो के ही बेची जा रही है. संबंधित विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है. […]

धनबाद: शिड्यूल एच वन के कड़े नियमों के कारण कई दवाएं बाजार से गायब हो गयी है. इनमें कुछ जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं. मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कहीं दवा ब्लैक में तो कहीं बिना कैशमेमो के ही बेची जा रही है. संबंधित विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है. विभाग के अनुसार धनबाद में करीब 14 सौ लाइसेंसी दवा दुकानें हैं.
एंटीबायोटिक से ज्यादा परेशानी: बाजार में एंटीबायोटिक व नींद आने संबंधी दवाओं की घोर कमी है. दवा दुकानदार इन दवाओं को बेचने से कतरा रहे हैं. वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञों के अनुसार ऑर्थराइटिस के मरीज ज्यादातर डायबिटीज और बीपी के मरीज होते हैं. इन्हें ऐसी दवा देनी पड़ती है, जो किडनी पर विपरीत असर न डाले. मगर हाल यह है कि मार्केट में दवाएं मिल ही नहीं रही हैं. क्लोनेजीपॉम ग्रुप की दवाओं की भारी किल्लत है. ये दवाएं एंजाइटी कम कने, नींद के लिए होती है. इसके अलावा टीबी की दवाओं की भी भारी किल्लत हैं.
क्या है शिड्यूल एच वन
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स के अंतर्गत कुछ दवाओं को शिड्यूल एच और शिड्यूल एक्स के अंतर्गत ब्योरा दिया गया है. इसके तहत 46 दवाओं को रखा गया है. इसमें 24 दवाएं एंटीबायोटिक्स हैं. इसके तहत इन दवाओं को रजिस्टर्ड डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेचा जा सकता है. इसमें थर्ड व फोर्थ जेनरेशन की एंटीबायोटिक, एंटी टीबी ड्रग्स और लत के रूप में प्रयोग की जाने वाली दवाएं भी है. इन दवाओं को बेचने के लिए दवा दुकानदार को डॉक्टर का नाम व पता, मरीज का नाम, दवा का नाम व मात्र आदि डाटा को कम से कम तीन साल तक सुरक्षित रखना है. यह सारी कवायद इसलिए है कि उच्च स्तर की एंटीबायोटिक का बेवजह इस्तेमाल से रोका जा सके. साथ ही अवैध बिक्री व नशे के रुप में प्रयोग पर रोक लगायी जा सके.
शिड्यूल एच वन की दवाओं के संबंधित कड़े कानून हैं. इसका पालन जरूरी है. अवैध रुप से दवा बेचते पकड़े गये तो कार्रवाई की जायेगी. हालांकि दवा नहीं रखना चिंता का विषय है. जानकारी ले रहा हूं.
अमित कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर.
नया कानून है. इसे अपनाने में थोड़ा वक्त लग सकता है. हालांकि कानून बना है तो पालन जरूर होगा. छोटे-मोटे दुकानदारों के लिए थोड़ी परेशानी होती है. कुछ जगहों पर रजिस्टर मेंटेन हो रहा है, तो कहीं प्रोसेस में है. दवा की कमी नहीं है. हालांकि लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा.
राजेश दुदानी, अध्यक्ष, केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन, धनबाद.

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