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चूहे के बिल की तरह होती है माइनिंग

धनबाद: जाने-माने माइनिंग विशेषज्ञ हालैंड के पीटर जेन शुक्रवार को डीजीएमएस में थे. उन्होंने हाइ वाल व कंटीन्यूअस माइनर टेक्नोलॉजी पर प्रकाश डाला. डीजीएमएस की ओर से यह पहल की गयी थी. ये दोनों तकनीक का इस्तेमाल हाल ही में शुरू किया गया है. कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए ये दोनों तकनीक बेहद कारगर साबित […]

धनबाद: जाने-माने माइनिंग विशेषज्ञ हालैंड के पीटर जेन शुक्रवार को डीजीएमएस में थे. उन्होंने हाइ वाल व कंटीन्यूअस माइनर टेक्नोलॉजी पर प्रकाश डाला. डीजीएमएस की ओर से यह पहल की गयी थी. ये दोनों तकनीक का इस्तेमाल हाल ही में शुरू किया गया है. कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए ये दोनों तकनीक बेहद कारगर साबित हो रहे हैं.

हाइवाल माइनिंग चूहे के बिल की तरह होती है. पिलर में फंसा कोयला निकालने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. रिमोट कंट्रोल के जरिये मशीन का संचालन होता है. अमरीका में सबसे पहले इसका इस्तेमाल शुरू हुआ. जेन के अनुसार जहां ओपेन कास्ट माइनिंग खत्म होती है, वहां हाइवाल तकनीक का इस्तेमाल शुरू होता है. इस तकनीक के तहत तीन सौ मीटर तक का कोयला निकाला जाता है.

डीजी, आइएसएम व सिम्फर निदेशक ने भी लिया हिस्सा कार्यशाला में डीजी राहुल गुहा, आइएसएम के निदेशक डीसी पाणिग्रही व सिम्फर निदेशक अमलेंदु सिन्हा ने भी हिस्सा लिया. डीजी राहुल गुहा ने खनन के क्षेत्र में मानक का जिक्र किया. उन्होंने कहा- इन दोनों तकनीक के इस्तेमाल से खनन क्षेत्र में नयी क्रांति आयेगी. सिंफर निदेशक ने माइनिंग के क्षेत्र में नयी टेक्नोलॉजी का जिक्र किया. आइएसएम के निदेशक डीसी पाणिग्रही ने समय प्रबंधन (टाइम मैनेजमेंट) के महत्व पर प्रकाश डाला.

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