धनबाद. झारखंड राज्य अलग बनने के बाद झारखंड टेनिस एसोसिएशन की मान्यता खतरे में पड़ गयी थी . क्योंकि 2001 से 2007 से तक ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन के पास झारखंड ने अपना निबंधन शुल्क जमा नहीं कराया था. निबंधन शुल्क जमा करने के बाद पहली बार 2006 में धनबाद टेनिस संघ ने आइएसएम में पहला झारखंड ओपन टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन कराया. इस समय मुश्किल से दर्जन भर खिलाड़ी उपलब्ध नहीं हुये थे. लेकिन आज राज्य के पास 80 से अधिक खिलाड़ी हैं. यह बात झारखंड टेनिस संघ के सचिव एमके भद्रा ने डीएलटीए द्वारा धनबाद क्लब में आयोजित सातवीं राज्य टेनिस टूर्नामेंट के समापन समारोह में कही. श्री भद्रा ने कहा कि 2011 में रांची मेंआयोजित 34 वीं राष्ट्रीय खेल मंे पहली बार झारखंड की टेनिस टीम में भाग लिया. इसके बाद 2012 में दिल्ली में आयोजित अंतर राज्य टेनिस टूर्नामेंट में भी टीम ने भाग लिया और झारखंड के सभी वर्गो की टीम मौजूद है. इसमें धनबाद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. क्योकि न सिर्फ आयोजन की दृष्टि से बल्कि हर टीम में धनबाद के खिलाड़ी शामिल हैं. तीन बार यहां राज्य ओपन टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. जो एक सराहनीय कार्य है. मालूम हो कि इस टूर्नामेंट में धनबाद ने वेटरन युगल ( जेके नैय्यर एंट पाटर्नर) का खिताब जीता जबकि पुरुष व महिला वर्ग में क्रमश: नवल उपाध्याय व निक्की एक्का उपविजेता रही. पुरुष युगल में विनोद सिन्हा व संतोष सिंह की जोड़ी दूसरे नंबर पर रही जबकि बालक अंडर – 12 में कृषांग वोरा उपविजेता रहे.
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2007 में दस थे, आज 80 हैं. भद्रा
धनबाद. झारखंड राज्य अलग बनने के बाद झारखंड टेनिस एसोसिएशन की मान्यता खतरे में पड़ गयी थी . क्योंकि 2001 से 2007 से तक ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन के पास झारखंड ने अपना निबंधन शुल्क जमा नहीं कराया था. निबंधन शुल्क जमा करने के बाद पहली बार 2006 में धनबाद टेनिस संघ ने आइएसएम में […]
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